Move to Jagran APP

बिना रोडमैप आखिर कैसे हर किसी तक पहुंचेगी कोरोना की वैक्‍सीन, सताने लगी है चिंता

कोरोना की रोकथाम को लेकर अब तक कोई दवा तैयार नहीं हो सकी है। लेकिन भविष्‍य में सामने आने वाली दवा के डिस्‍ट्रीब्‍यूशन को लेकर विशेषज्ञों को चिंता सताने लगी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 05:21 PM (IST)
बिना रोडमैप आखिर कैसे हर किसी तक पहुंचेगी कोरोना की वैक्‍सीन, सताने लगी है चिंता
बिना रोडमैप आखिर कैसे हर किसी तक पहुंचेगी कोरोना की वैक्‍सीन, सताने लगी है चिंता

लंदन (एपी)। कोरोना वैक्‍सीन को लेकर शुरू हुई दौड़ अब तेज हो गई है। विकसित और अमीर देश इसकी एडवांस्‍ट बुकिंग भी करने लगे हैं जिससे ये उनके नागरिकों को मुहैया करवाई जा सके। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल ये भी खड़ा हो गया हे कि क्‍या विकासशील देशों को इस जानलेवा वायरस की वैक्‍सीन ये महामारी खत्‍म होने से पहले मिल पाएगी। जून की शुरुआत में ही संयुक्‍त राष्‍ट्र, इंटरनेशनल रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट समेत दूसरे संगठनों कहा था कि ये बेहद जरूरी है कि इस वैक्‍सीन सभी को उपलब्‍ध हो सके। लेकिन साझातौर पर दिए गए गए इस तरह के बयान तब तक अव्‍यवहारिक हैं, जब वैक्‍सीन के आवंटन की कोई रणनीति तैयार नहीं की जाती।

loksabha election banner

जिनेवा में सीनियर लीगल एंड पॉलिसी एडवाइजर युआन क्‍वांग हू के मुताबिक सभी को दवा उपलब्‍ध कराने की जो एक तस्‍वीर बनाई गई है वो बेहद शानदार है लेकिन बिना रोडमैप के इसको कैसे किया जा सकता है। उनके मुताबिक वैक्‍सीन के डिस्‍ट्रीब्‍यूशन से जुड़ी इस बड़ी समस्‍या को सुलझाने के लिए कुछ उपाय करने जरूरी हैं।

हू के मुताबिक कंपनी इस महामारी की दवा बनाने के हर चरण का पेटेंट हासिल करने के लिए आवेदन कर चुकी हैं। इसमें इसके इस्‍तेमाल में आने वाले बायलॉजिकल मेटेरियल जैसे सेल्‍स लाइंस, इनको प्रिजर्व करने में इस्‍तेमाल आने वाली तकनीक तक शामिल है। ऐसे में वैक्सीन बनाने के निजी अधिकारों की इन परतों का सामना कर पाना मुश्किल है।

वैक्‍सीन को लेकर हुए एक सम्‍मेलन के दौरान घाना के राष्‍ट्रपति नाना अकूफो एडो भी उनकी इस बात से सहमत थे। उनका कहना था कि ये किसी एक देश की समस्‍या नहीं है और न ही इसका खर्च कोई एक देश अकेले ही उठा सकता है। कोविड 19 ने बता दिया है कि वो देशों की सीमाओं को नहीं मानता है। दवाई विकसित होने के बाद इसका सही डिस्‍ट्रीब्‍यूशन ही मानवता की सच्‍ची सेवा और उसकी रक्षा होगी।

पूरी दुनिया में कोरोना वैक्‍सीन की दवा को लेकर दर्जन भर से अधिक दवाएं अपनी टेस्टिंग के शुरुआती दौर में हैं। वहीं कुछ दवाएं ऐसी हैं जो इस वर्ष के अंत तक टेस्टिंग के दौर में पहुंच जाएंगी। यदि इस महामारी से निजात मिल जाती है तो अगले वर्ष कोई भी इसका लाइसेंस हासिल कर सकता है। अभी भी कई अमीर देशों ने इनमें से कुछ एक्‍सपेरिमेंटल शॉट्स का आर्डर दे और उम्‍मीद है कि इसकी मार्केटिंग की एप्रूवल मिलने से पहले ही इसकी डिलीवरी शुरू हो जाएगी। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। इसके एवज में हर देश चाहता है कि उसके यहां पर इलाज को प्राथमिकता मिले।

ब्रिटेन की सरकार ये घोषणा कर चुकी है कि यदि ये दवा कारगर साबित हुई तो इसकी पहली तीन करोड़ खुराक उसके नागरिकों के लिए होंगी। इस दवा को ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्‍ट्राजेनेका मिलकर तैयार कर रहे हैं। एस्‍ट्राजेनेका ने इसकी 30 करोड़ खुराक बनाने को लेकर एक समझौता भी किया है जो अमेरिका के लिए होगी। उम्‍मीद है कि इसका पहला बैच अक्‍टूबर की शुरुआत में मिल जाएगा। पिछले सप्‍ताह यूरोपीयन यूनियन ने भी दवा की सप्‍लाई सुनिश्चित करने के लिए कदम बढ़ा दिया है। शनिवार को इस कंपनी ने जर्मनी, फ्रांस, इटली औरनीदरलैंड से इस वर्ष के अंत तक 40 करोड़ खुराक की सप्‍लाई करने का करार किया है।

ये भी पढ़ें:- 

'गलवन की घटना के पीछे है बीजिंग का दिमाग, ये विवाद बढ़ेगा नहीं, लेकिन जल्‍द सुलझेगा भी नहीं'

जानें राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने के लिए ट्रंप ने किससे मांगी है मदद, बोल्‍टन ने किया खुलासा 

जेनेटिक मैपिंग के लिए चीन जुटा रहा 70 करोड़ लोगों का डीएनए सैंपल, निशाने पर कुछ खास वर्ग!

चीन की पहल के बाद गलवन में हालात हुए बेकाबू, विश्‍वास बहाली के लिए कुछ कदम उठाने जरूरी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.