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Wastewater से ईंधन बनाने में मदद करेगा नया बैंगनी बैक्टीरिया

बैंगनी फोटोट्रोफिक बैक्टीरिया विभिन्न प्रकार के वर्णक का उपयोग करके सूरज की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करता है, जो उन्हें नारंगी रंग के साथ-साथ बैंगनी बना देता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 12:26 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 12:26 PM (IST)
Wastewater से ईंधन बनाने में मदद करेगा नया बैंगनी बैक्टीरिया
Wastewater से ईंधन बनाने में मदद करेगा नया बैंगनी बैक्टीरिया

लंदन, प्रेट्र। दुनिया की आबादी जिस तेजी से बढ़ रही है उससे भी ज्यादा रफ्तार से वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप ईंधन की खपत में लगातार वृद्धि होती जा रही है और इनके स्रोत कम हो रहे हैं। यही वजह है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक इसके विकल्प तलाशने में निरंतर प्रयासरत हैं। अब इस कड़ी में वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है।

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दरअसल, उन्होंने एक ऐसा बैक्टीरिया तलाश लिया है, जो प्रकाश से ऊर्जा को एकत्र करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बैंगनी बैक्टीरिया सीवेज से हाइड्रोजन ईंधन तैयार करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह किसी भी व्यर्थ कार्बनिक पदार्थ से कार्बन को निकाल सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि घरेलू सीवेज और उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पानी में मौजूद कार्बनिक यौगिक ऊर्जा, बायोप्लास्टिक और यहां तक कि पशु आहार के संभावित स्रोत हो सकते हैं। कोई उपयुक्त विधि न होने के कारण ट्रीटमेंट प्लांट इन्ह प्रदूषकों के रूप में ऐसे ही छोड़ देते हैं।

फ्रंटियर्स इन एनर्जी रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि अब इस दिशा में वैज्ञानिकों को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। वैज्ञानिकों द्वारा तलाशे गए इस नवीन बैंगनी फोटोट्रोफिक बैक्टीरिया को इलेक्ट्रिक करेंट लगाकर किसी भी कार्बनिक व्यर्थ पदार्थ से 100 फीसद कार्बन पुन:प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, बिजली उत्पादन के दौरान हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।

स्पेन में किंग जुआन कार्लोस यूनिवर्सिटी के डैनियल पुयोल के मुताबिक, वर्तमान में वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स की सबसे बड़ी समस्या उच्च कार्बन उत्सर्जन है। हमारी यह रोशनी पर आधारित बायोरिफाइनरी प्रक्रिया से कार्बन को पूरी तरह पुन:प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह से यह ग्रीन ऊर्जा के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

इस तरह से काम करती है प्रक्रिया

बैंगनी फोटोट्रोफिक बैक्टीरिया विभिन्न प्रकार के वर्णक का उपयोग करके सूरज की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करता है, जो उन्हें नारंगी, लाल या भूरे रंग के रंगों के साथ-साथ बैंगनी बना देता है। पुयोल कहते हैं, बैंगनी फोटोट्रोफिक बैक्टीरिया जैविक अपशिष्ट से संसाधन रिकवर करने का एक आदर्श टूल साबित हो सकता है। इसके लिए इसका उच्च विविध चयापचय जिम्मेदार है।

प्रकाश संश्लेषण में भी उपयोगी

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बैक्टीरिया की एक और खासियत है। यह बैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में मदद कर सकता है। यह बैक्टीरिया कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के बजाय जैविक अणुओं और नाइट्रोजन गैस का उपयोग करता है और प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन, इलेक्ट्रॉन्स और नाइट्रोजन को उपलब्ध कराता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसका मतलब यह बैक्टीरिया एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

जांच में मिली सफलता

वैज्ञानिकों ने इस बैक्टीरिया की प्रयोगशाला में विभिन्न तरीके से जांच की है और परिणामों से वे बेहद उत्साहित हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से ईंधन की कमी की समस्या दुनिया में तेजी से बढ़ रही है और अपशिष्ट पानी के जरिये कार्बन बहुत अधिक मात्रा में बर्बाद हो रहा है, यह बैक्टीरिया इन समस्याओं के समाधान में बेहद कारगर साबित होगा। इसकी मदद से न केवल अपशिष्ट पानी से कार्बन को अलग किया जा सकेगा, बल्कि ऐसा ईंधन भी तैयार किया जा सकेगा, जो पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाता हो। 


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