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PNB Fraud Case: कोर्ट ने 25 जुलाई तक बढ़ाई रिमांड तो Nirav Modi ने जताई अपनी इच्छा, जानिए

नीरव मोदी के मामले में अगली सुनवाई तक उसे हिरासत में भेज दिया गया है। उसकी रिमांड 25 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 04:46 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 04:46 PM (IST)
PNB Fraud Case: कोर्ट ने 25 जुलाई तक बढ़ाई रिमांड तो Nirav Modi ने जताई अपनी इच्छा, जानिए
PNB Fraud Case: कोर्ट ने 25 जुलाई तक बढ़ाई रिमांड तो Nirav Modi ने जताई अपनी इच्छा, जानिए

लंदन, एएनआइ। देश को करोड़ो रूपये का चुना लगाकर भागा हीरा कारोबारी नीरव मोदी(Nirav Modi) की मुश्किलें अब लगातार बढ़ती जा रही है। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से करोड़ रुपये का फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस के भगोड़ा साबित हुए मोदी को अब एक और झटका लगा है। जानकारी के मुताबिक उनके मामले में अगली सुनवाई तक उन्हें हिरासत में भेज दिया गया है। उनकी रिमांड 25 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

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नीरव मोदी गुरुवार को लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए पेश हुआ। मोदी नियमित रिमांड सुनवाई के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हुआ था। न्यायाधीश ने मोेदी के केस में दस्तावेजों का जिक्र करते हुए उनकी रिमांड बढ़ाने की बात कही और अगले सुनवाई तक हिरासत में भेजने का ऑर्डर दिया। 

लैपटॉप दिया जाए
वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में नीरव मोदी की टीम ने न्यायाधीश से लैपटॉप दिए जाने का अनुरोध किया है। इसके पीछे उनका तर्क है कि नीरव मोदी जेल में उनके खिलाफ भारत सरकार द्वारा दायर 5000 पन्नों के मामले को पढ़ना चाहते है।

48 वर्षीय, नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (PNB Scam) धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मार्च में गिरफ्तारी के बाद से दक्षिण-पश्चिम लंदन के वंड्सवर्थ जेल में बंद है। इस महीने की शुरुआत में यूके उच्च न्यायालय द्वारा उसकी जमानत अपील को खारिज कर दिया गया था। नीरव मोदी ने चौथी बार जमानत के लिए प्रयास किया था।

लंदन में न्याय के शाही न्यायालयों में सौंपे गए अपने फैसले में, न्यायमूर्ति इंग्रिड सिमलर ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि उनके पास यह मानने के लिए पर्याप्त आधार थे कि नीरव मोदी आत्मसमर्पण करने में विफल होगा। क्योंकि उसके पास फरार होने के साधन हैं।

पहले की जमानत के प्रयासों के दौरान वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने बाकी लोगों की तरह चिंताओं को दोहराते हुए न्यायाधीश सिमलर ने फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा था कि इस मामले में गवाहों के हस्तक्षेप और सबूत नष्ट करने के मजबूत सबूत मिले थे। उन्होंने नीरव की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह अभी भी हो सकता है।

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