ब्रिटेन: कंसर्वेटिव पार्टी के 9 सदस्यों ने ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के कानून में किया संशोधन
ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे की पार्टी में दो पूर्व कैबिनेट मंत्री शामिल हैं जो यूरोपीय संघ (वापसी) विधेयक में क्रॉस-पार्टी संशोधन का समर्थन कर रहे हैं।
एडिनबर्ग (रायटर्स)। ब्रिटेन के कंजर्वेटिव पार्टी के नौ सदस्यों ने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने के लिए आवश्यक कानून में संशोधन किया है, द गार्जियन अखबार के हवाले से ये खबर आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे की पार्टी में दो पूर्व कैबिनेट मंत्री शामिल हैं जो यूरोपीय संघ (वापसी) विधेयक में क्रॉस-पार्टी संशोधन का समर्थन कर रहे हैं।
ब्रिटेन और ईयू समझौते पर हुए सहमत
अगले साल होने वाले ऐतिहासिक ब्रेक्जिट के बाद परिवर्तन काल (ट्रांजिशन पीरियड) के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन (ईयू) एक समझौते पर सहमत हो गए। यह समझौता करीब 21 महीने प्रभावी रहेगा। यूरोपीय यूनियन के वार्ताकार माइकल बार्नियर ने कहा कि परिवर्तन काल का यह समझौता 29 मार्च, 2019 (ब्रेक्जिट का दिन) से 31 दिसंबर, 2020 तक लागू रहेगा।
इस दौरान यूरोपीय यूनियन की निर्णय लेने की प्रक्रिया में ब्रिटेन हिस्सा नहीं ले पाएगा, यानी मतदान नहीं कर पाएगा। इसके बावजूद वह अपने हितों, एकल बाजार और कस्टम्स यूनियन के फायदों को सुरक्षित रख पाएगा। लेकिन इस दौरान उसे यूरोपीय यूनियन के सभी नियमों का उसी तरह सम्मान करना होगा जैसे यूनियन के अन्य देश करते हैं। ब्रिटेन के ब्रेक्जिट सेकेट्री डेविड डेविस ने कहा कि परिवर्तन काल का समझौता ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के कारोबारियों व नागरिकों को निश्चितता की गारंटी देता है।
थेरेसा मे ने कहा था..
खास बात यह है कि आयरिश सीमा को लेकर यूरोपीय यूनियन के "बैकस्टॉप" प्लान पर भी ब्रिटेन सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गया है। इसके तहत कोई बेहतर विकल्प नहीं मिलने तक ब्रिटेन शासित उत्तरी आयरलैंड यूरोपीय यूनियन की कस्टम्स यूनियन का हिस्सा बना रहेगा। हालांकि कुछ हफ्ते पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा था कि कोई भी ब्रिटेन इस योजना पर कभी सहमत नहीं हो सकता।
हालांकि, इस मसले का पूरी तरह समाधान करने के लिए अभी दोनों पक्षों को और वार्ता करने की जरूरत है। यूरोपीय यूनियन इस बात पर जोर देता रहा है कि ब्रेक्जिट के किसी भी समझौते में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यूरोपीय यूनियन के सदस्य आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बीच कोई "कठोर सीमा" न हो। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 1998 के शांति समझौता की अवहेलना होगी जिसकी वजह से इस ब्रिटिश प्रांत (उत्तरी आयरलैंड) में दशकों से जारी सांप्रदायिक हिंसा का खात्मा हुआ था।