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टीचर बनाने की रेस में सबसे आगे हैं भारतीय, शिक्षकों का सम्मान करने में है तीसरा नंबर

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें शामिल करीब 54 फीसद भारतीयों ने यह कहा कि वे अपने बच्चों को टीचर बनने के लिए प्रेरित करेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 02:41 PM (IST)
टीचर बनाने की रेस में सबसे आगे हैं भारतीय, शिक्षकों का सम्मान करने में है तीसरा नंबर
टीचर बनाने की रेस में सबसे आगे हैं भारतीय, शिक्षकों का सम्मान करने में है तीसरा नंबर

लंदन, प्रेट्र। ज्यादातर भारतीय अपने बच्चों को टीचर बनाना चाहते हैं। यह जानकारी ब्रिटेन स्थित संस्था वर्की फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स (जीटीएसआइ) 2018 में दी गई है। अध्ययन में दुनिया भर के 35 देशों में यह जानने की कोशिश की गई है कि टीचर के बारे में लोगों की क्या राय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें शामिल करीब 54 फीसद भारतीयों ने यह कहा कि वे अपने बच्चों को टीचर बनने के लिए प्रेरित करेंगे। यह आंकड़ा सर्वे में शामिल सभी देशों में सबसे ज्यादा है। यहां तक की चीन के केवल 50 फीसद लोग ही शिक्षण को करियर के तौर पर देखते हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के केवल 23 फीसद लोग ही चाहते हैं कि उनके बच्चे टीचर बनें, जबकि रूस में यह आंकड़ा बेहद कम 6 फीसद ही रह जाता है। इंडेक्स में बताया गया है कि शिक्षकों के सम्मान और छात्रों के प्रदर्शन के बीच सीधा संबंध है। ऐसा आर्गेनाइजेशन फॉर इकोनामिक को-ऑपरेशन एंड डेपलपमेंट्स प्रोगाम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एसेसमेंट (पीसा) के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है।

भारतीय मूल के उद्यमी और वर्की फाउंडेशन के संस्थापक सनी वर्की ने कहा कि जब हमने पांच साल पहले जीटीएसआइ की शुरुआत की थी तो हमें दुनिया भर के शिक्षकों की निम्न स्थिति के सुबूत मिले थे। इसी कारण हम ग्लोबल टीचर पुरस्कार शुरू करने के लिए प्रेरित हुए। असाधारण कार्य करने वाले दुनिया भर के शिक्षकों को यह पुरस्कार दिया जाता है।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि तीन- चौथाई से अधिक करीब 77 फीसद भारतीय उत्तरदाताओं का मानना है कि छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं। इस मामले में चीन 81 फीसद और युगांडा 79 फीसद के साथ प्रथम और दूसरे स्थान पर रहा। इसके विपरीत, ब्राजील में सिर्फ नौ फीसद लोग सोचते हैं कि छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं, जो कि किसी भी अन्य देश से कम है।

यह सर्वेक्षण प्रोफेसर पीटर डॉल्टन और आर्थिक व सामाजिक अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया। इसके तहत 16 से 64 वर्ष के 35,000 से अधिक लोगों और 35 देशों के 5500 से अधिक शिक्षकों की राय जानी गई। 2013 में प्रकाशित सबसे पहले जीटीएसआइ में सिर्फ 21 देशों का सर्वेक्षण किया गया था। वर्की फाउंडेशन की ओर से हर साल 10 लाख डॉलर (लगभग 6.50 रुपये) का पुरस्कार शिक्षकों को दिया जाता है।

अपने देश की शिक्षा प्रणाली पर है भरोसा
भारतीय अपने देश की शिक्षा प्रणाली में दृढ़ता से विश्वास करते हैं-रेटिंग में इसे 10 में से 7.11 अंक मिले हैं। इस मामले में फिनलैंड 8 अंक के साथ पहले, 7.2 अंक के साथ स्विट्जरलैंड दूसरे और 7.1 के साथ सिंगापुर तीसरे पायदान पर है। इसके विपरीत, मिस्न 3.8 अंक से साथ अंतिम पायदान पर रहा। जब 14 व्यवसायों (जिसमें हेडटीचर्स, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक, डॉक्टर, नर्स, सामाजिक कार्यकर्ता और लाइब्रेरियन शामिल हैं) को सम्मान के आधार पर रैंक देने को कहा गया, तो मलेशिया, इंडोनेशिया और चीन के बाद भारतीयों ने हेडटीचर को सबसे सम्मानित ओहदा बताया।

माध्यमिक विद्यालय के मामले में भारत सातवें स्थान पर रहा। इस सूचकांक में बताया गया है कि शिक्षकों के सम्मान के स्तर में लगातार सुधार हो रहा है। जिन 35 देशों में सर्वे हुआ है उनमें भारत, चीन, मलेशिया, ताइवान, इंडोनेशिया और कोरिया शिक्षकों के सम्मान के मामले में यूरोपीय और पश्चिमी देशों से काफी आगे है। 


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