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वैज्ञानिकों ने पहली बार Gene में कोई भी छेड़छाड़ के बगैर बढ़ाई चूहे की जिंदगी

स्पैनिश नेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर ने एक ऐसा चूहा विकसित किया है जिसके टेलोमर्स की लंबाई अन्य की तुलना में काफी अधिक है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 09:49 AM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 09:49 AM (IST)
वैज्ञानिकों ने पहली बार Gene में कोई भी छेड़छाड़ के बगैर बढ़ाई चूहे की जिंदगी
वैज्ञानिकों ने पहली बार Gene में कोई भी छेड़छाड़ के बगैर बढ़ाई चूहे की जिंदगी

लंदन, प्रेट्र। वैज्ञानिक पहली बार जीन में कोई भी छेड़छाड़ किए बगैर चूहे की जीवन अवधि बढ़ाने में सफल हुए हैं। दरअसल, अब तक जीवों के दीर्घ आयु के निर्धारण में जीन को ही एक मात्र घटक माना जा रहा था। हालांकि, स्पैनिश नेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर (सीएनआइओ) ने अपने प्रयोग से इस धारणा को बदला दिया है। उन्होंने एक ऐसा चूहा विकसित किया है, जिसके टेलोमर्स की लंबाई अन्य की तुलना में काफी अधिक है।

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टेलोमर्स डीएनए के प्रत्येक छोर पर मौजूद एक टोपीनुमा संरचना है, जो क्रोमोजोम की सुरक्षा करता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इनकी लंबाई घटती जाती है। यही वजह है कि व्यक्ति एक समय के बाद बूढ़ा होने लगता है। बुढ़ापा व टेलोमर्स के इसी संबंध को ध्यान में रखकर सीएनआइओ के शोधकर्ताओं ने हाइपर-लांग टेलोमर्स (अत्यधिक लंबा) वाला चूहा विकसित किया। खास बात यह रही कि वह चूहे की प्रत्येक कोशिका में हाइपर-लांग टेलोमर्स विकसित करने में कामयाब हुए हैं।

नेचर कम्युनिकेशन नामक जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक इस तरह के टेलोमर्स वाले जीवों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और वह लंबा जीवन जीते हैं। इसके अलावा उनमें कैंसर व मोटापे का खतरा घट जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘इस अध्ययन से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि हमें एक ही प्रणाली पर विश्वास करने की बजाए समस्याओं के समाधान के अन्य रास्ते भी खोजने चाहिए।’

  • इस तरह के जीवों का स्वास्थ्य रहता है बेहतर 
  • उम्र के साथ छोटे होते टेलोमर्स बनते हैं बुढ़ापे का कारण
  • वैज्ञानिकों ने विकसित किया ज्यादा लंबे टेलोमर्स वाला चूहा

पहले भी हुए थे प्रयोग

टेलोमर्स के लंबाई कम होने से रोकने के लिए पूर्व में भी कई प्रयोग हुए थे। इनमें ज्यादातर मौके पर टेलोमर्स की लंबाई के लिए जिम्मेदार टेलोमरीज नामक प्रोटीन को सक्रिय किया गया था। सीएनआइओ समूह ने भी पहले एंजाइम को सक्रिय करने के लिए जीन थेरेपी विकसित की थी। हालांकि, ताजा अध्ययन में उन्होंने जीन से छेड़छाड़ के बगैर ही टेलोमर्स की लंबाई बढ़ाने में सफलता हासिल कर ली।


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