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बीबीसी पोल में महाराजा रणजीत सिंह चुने गए दुनिया के सबसे महान नेता

दूसरे स्थान पर अफ्रीकी नेता अमिलकर क्रैबल और तीसरे स्थान पर पूर्व ब्रिटिश पीएम विस्टन चर्चिल रहे।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 08:38 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 08:38 AM (IST)
बीबीसी पोल में महाराजा रणजीत सिंह चुने गए दुनिया के सबसे महान नेता
बीबीसी पोल में महाराजा रणजीत सिंह चुने गए दुनिया के सबसे महान नेता

लंदन, प्रेट्र। बीबीसी व‌र्ल्ड हिस्ट्रीज मैगजीन द्वारा कराए गए पोल में भारत में सिख साम्राज्य के 19वीं सदी के शासक महाराजा रणजीत सिंह को अब तक के सबसे महान नेता के तौर पर चुना गया है। इस पोल में पांच हजार पाठकों ने हिस्सा लिया और 38 फीसद से ज्यादा ने रणजीत सिंह के पक्ष में वोट किया।दूसरे स्थान पर 25 फीसद वोटों के साथ अफ्रीकी स्वाधीनता सेनानी अमिलकर क्रैबल रहे जिन्होंने पुर्तगाली आक्रमणकारियों से मुक्ति के लिए 10 लाख से ज्यादा लोगों को एकजुट किया था।

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द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विस्टन चर्चिल सात प्रतिशत वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। चौथे स्थान पर अमेरिकी के राष्ट्रपति रहे अब्राहम लिंकन और पांचवे स्थान पर ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ प्रथम रहीं।इस पोल के लिए नामांकन वैश्विक इतिहासकारों से मांगे गए थे। इनमें मैथ्यू लॉकवुड, राणा मित्तर, माग्रेट मैक्मिलन और गस कैसली हेफोर्ड शामिल हैं। रणजीत सिंह का नामांकन लॉकवुड ने किया था जो यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बामा में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। 

विश्व इतिहास के शीर्ष 20 नेताओं की इस सूची में मुगल सम्राट अकबर, फ्रांसीसी सैन्य नेता जॉन ऑफ आर्क और रूस की महारानी कैथरीन द ग्रेट भी शामिल हैं।अग्रणी इतिहासकारों की बीबीसी व‌र्ल्ड हिस्ट्रीज मैगजीन के संपादक मैट एल्टन ने कहा, 'सूची में शामिल अन्य नामों की तरह बहुत जाना-माना नहीं होने के बावजूद पोल में महाराजा रणजीत सिंह की जबर्दस्त जीत बताती है कि उनके नेतृत्व की खूबियां 21वीं सदी में भी दुनियाभर के लोगों को प्रेरित कर रही हैं। वैश्विक राजनीतिक तनावों के इस दौर में यह जीत बताती है कि रणजीत सिंह के शासन को सहिष्णुता, स्वाधीनता और सहयोग का आदर्श माना जाता है।'

पंजाब के शेर के रूप में विख्यात रणजीत सिंह ने आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के दौर के बाद सत्ता संभाली थी।मैगजीन के मुताबिक, 19वीं सदी के शुरुआती दशकों में उन्होंने सिख खालसा सेना का आधुनिकीकरण किया, स्थानीय तरीकों और संस्थाओं को छोड़े बिना पश्चिमी तरीकों को अपनाया, अफगानिस्तान से लगती सीमा को स्थायित्व प्रदान किया और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ आपसी हितों पर आधारित शांति कायम की।


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