यूरोपीय देशों में रहने वाले कश्मीरियों ने ब्रिटेन आकर गुलाम कश्मीर में हो रहे अत्याचार के खिलाफ उठाई आवाज
पाक कब्जे वाले कश्मीर गिलगित और बालटिस्तान में लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है। वहीं आतंकी शिविरों के लिए सारी सुविधाएं हैं।
बर्मिघम, एएनआइ। यूरोपीय देशों में रहने वाले कश्मीरी रविवार को ब्रिटेन के शहर बर्मिघम में एकत्रित हुए और उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। सम्मेलन में कहा गया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, गिलगित और बालटिस्तान में पाकिस्तानी फौज का उत्पीड़न चल रहा है। यह सम्मेलन शांति, मानवाधिकार और आतंकवाद के खिलाफ आयोजित किया गया था।
सम्मेलन में इलाके की जमीन का उपयोग बदलते हुए वहां से प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन पर भी चिंता व्यक्त की गई। वक्ताओं ने कहा, गिलगित और बालटिस्तान का इलाका दुनिया के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक हैं, लेकिन पाकिस्तान उसको लेकर अपनी नीति नहीं बदल रहा।
पाकिस्तान सरकार वहां पर आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी के चेयरमैन शौकत अली कश्मीरी ने कहा, इलाके से होकर बह रहीं नीलम और झेलम नदियों की दिशा बदल दी गई है। इसके खिलाफ तीन महीने से इलाके में आंदोलन हो रहा है, लेकिन इलाके की स्थानीय सरकार ने पाकिस्तान की इमरान खान सरकार से इस बाबत एक शब्द नहीं बोला है।
नदियों की दिशा बदले जाने के विरोध में लोग स्थायी रूप से धरने पर बैठे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 30 से ज्यादा आंदोलनकारियों को गिरफ्तार भी कर रखा है जिनका कोई पता नहीं चल रहा। इसके अलावा आंदोलनकारियों के अस्थायी ठिकाने भी नष्ट कर दिए गए हैं।
पाक कब्जे वाले कश्मीर, गिलगित और बालटिस्तान में लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है। वहीं, आतंकी शिविरों के लिए सारी सुविधाएं हैं। उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी, बिजली और सड़क की सुविधाएं दी जा रही हैं। इन आतंकी शिविरों में पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ की सरपरस्ती में युवकों को आतंकी बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। सम्मेलन में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता साबिर चौधरी ने भी विचार व्यक्त किए।
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