कैंसर का काम तमाम करेगा उल्का पिंड से आया इरिडियम
वैज्ञानिकों ने इरिडियम और जैविक तत्वों का एक मिश्रण तैयार किया है जो सीधे कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करता है। इलाज में इरिडियम के इस्तेमाल से स्वस्थ ऊतकों को नहीं होगा नुकसान...
लंदन (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज का ऐसा तरीका ढूंढ़ लिया है जिससे शरीर के स्वस्थ ऊतकों (टिश्यू) को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकेगा। वैज्ञानिक इसके लिए दूसरी सबसे सघन धातु इरिडियम को कैंसर के इलाज में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं। माना जाता है कि इरिडियम उस उल्का पिंड या क्षुद्रग्रह से धरती पर आया जिसकी टक्कर से 6.6 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी से डायनोसोर विलुप्त हो गए थे।
वैज्ञानिकों ने इरिडियम और जैविक तत्वों का एक मिश्रण तैयार किया है जो सीधे कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करता है। इस प्रक्रिया में कोशिका में मौजूद ऑक्सीजन (ओ2) एकल ऑक्सीजन (ऑक्सीजन का सबसे सक्रिय रूप) में टूटकर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इस क्रिया में कैंसर से ग्रसित अंग पर लेजर लाइट का प्रयोग भी किया जाता है जिससे यह तत्व शरीर में अधिक सक्रिय होकर तेजी से एकल ऑक्सीजन का निर्माण करता है। इस शोध से जुड़े वारविक यूनिवर्सिटी के पिंगयु झांग ने कहा, ‘कैंसर के इलाज का यह तरीका बहुत असरकारक है।’ शोध के लिए फेफड़ों के कैंसर के ट्यूमर का नमूना लिया गया था।
इरिडियम के प्रयोग से परत तर परत ट्यूमर में मौजूद सभी कोशिकाएं नष्ट हो गईं जबकि स्वस्थ कोशिकाओं पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वारविक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पीटर सैडलर का कहना है कि पहले 50 प्रतिशत कीमोथेरेपी में प्लेटिनम धातु का प्रयोग होता था। अब इरिडियम इसकी जगह ले सकती है क्योंकि इसके प्रयोग का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इरिडियम को सर्वप्रथम 1803 में खोजा गया था।
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