ब्रिटेन में भारतीय छात्रों को पढ़ाई के बाद वीजा देने की सिफारिश
ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की गिरती संख्या को रोकने के लिए एक संसदीय समिति ने पढ़ाई के बाद उन्हें वर्क वीजा देने की सिफारिश की है।
लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की गिरती संख्या को रोकने के लिए एक संसदीय समिति ने पढ़ाई के बाद उन्हें वर्क वीजा देने की सिफारिश की है। ब्रिटेन के एक संसदीय समूह ने आकर्षक उच्च शिक्षा केंद्र के तौर पर देश की स्थिति पर मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में और भी कई सिफारिशें की हैं।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (एपीपीजी) ने अपनी रिपोर्ट 'ए सस्टेनेबेल फ्यूचर फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स इन द यूके' में बताया है कि ब्रिटेन के सातवें सबसे बड़े निर्यात बाजार के सतत विकास और भारत जैसे विकासशील देशों से छात्रों के नामांकन में गिरावट को पलटने के लिए एक 'महत्वाकांक्षी और सकारात्मक योजना' की तत्काल जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'पीएसडब्ल्यू (पढ़ाई के बाद कार्य) वीजा को वापस लेने के कारण ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों खासकर भारतीय छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। वर्ष 2010-2011 और 2016-17 के बीच भारत से उच्च शिक्षा के लिए आने वाले छात्रों की संख्या आधी रह गई है।' रिपोर्ट में देश के उच्च शिक्षा सांख्यिकी एजेंसी के आंकड़ों का हवाला दिया गया है।
समिति ने छात्र वीजा आवेदनों के सरलीकरण लिए कम जोखिम के राष्ट्रीयता वाले देशों की सूची से भारत को बाहर रखने को भी गंभीरता से लिया है। इस सूची का हाल ही में विस्तार किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक कम या ज्यादा जोखिम के आधार पर राष्ट्रीयता के वर्गीकरण से ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रतिकूल माहौल की धारणा बन गई है ।
हाल में भारत द्वारा इस जांच पड़ताल को लेकर जताई गई गंभीर आपत्ति इसका प्रमाण है। समिति ने यह भी कहा है कि किसी भी खतरे का आकलन व्यक्तिगत घटनाओं के आधार पर किया जाना चाहिए, राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं। समिति ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में ब्रिटेन का दबदबा दोबारा कायम करने के लिए 12 उपाय सुझाए हैं।
समिति ने ब्रिटेन में डिग्री लेने के बाद छात्रों को दो साल तक काम करने की अनुमति देने की सिफारिश की है। साथ ही आप्रवास नियमों को सुविधाजनक बनाने और छात्रों को बहुस्तरीय शिक्षा हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करने की भी सिफारिश की है। एपीपीजी के सह अध्यक्ष भारतीय मूल के लॉर्ड करन बिलिमोरिया ने कहा है कि यहां तक कि कनाडा भी ब्रिटेन से ज्यादा भारतीय छात्रों को अपने यहां आकर्षित करने में सफल रहा है।