भारतीय पेशेवरों ने वीजा मामले पर ब्रिटेन सरकार को दी चुनौती
ब्रिटेन में रहने और काम के अधिकार से वंचित करने पर पहुंचे कोर्ट, अनुचित तरीके से आवेदन खारिज करने के विरोध में किया प्रदर्शन
लंदन, प्रेट्र : बड़ी संख्या में भारतीय डॉक्टरों, शिक्षकों, उद्यमियों और अन्य पेशेवरों ने ब्रिटेन में रहने और काम करने के अधिकार से वंचित करने के सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा 'हाइली स्किल्ड माइग्रेंट्स' संगठन के बैनर तले भारतीय पेशेवरों ने लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर के नजदीक बुधवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने गृह विभाग द्वारा अनिश्चितकाल तक ब्रिटेन में रहने (आइएलआर) के आवेदनों को खारिज करने को अनुचित बताया।
आइएलआर से ठुकराए गए कई पेशेवरों ने गृह विभाग के फैसले के खिलाफ फर्स्ट टीयर ट्रिब्युनल और अपर ट्रिब्युनल में अपील की है। इन कोर्ट में आव्रजन मामलों की अपील पर सुनवाई होती है। संगठन की एक संयोजक अदिति भारद्वाज ने बताया कि विंडरश स्कैंडल और नए गृह मंत्री साजिद जाविद के आव्रजन मामलों में उचित फैसला लेने के भरोसा के बाद इन मुकदमों की महत्ता बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास प्रमाण है कि किस तरह गृह विभाग ब्रिटेन में रहने और काम करने के वैधानिक अधिकार को अनुचित तरीके से खारिज कर रहा है।
गौरतलब है कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नाइजीरिया जैसे गैर यूरोपीय संघ देशों के पेशेवर टीयर 1 (जनरल) वीजा पर ब्रिटेन में रहते हैं। ब्रिटेन में कानूनी रूप से कम से कम पांच साल निवास के बाद वे आइएलआर या स्थायी निवास का आवेदन करने के पात्र हो जाते हैं। लेकिन कानूनी विशेषज्ञों ने पाया कि कई आवेदन नियम 322 (5) से जुड़े अच्छे आचरण के आधार पर खारिज कर दिए जाते हैं। इसके कारण गृह विभाग और कर विभाग के समक्ष घोषित आय में विसंगति होता है। टैक्स रिटर्न में मामूली सुधार के चलते आवेदन खारिज करने को लेकर एक भारतीय पेशेवर मुकदमा लड़ रहा है। उसके मामले की जून में सुनवाई होगी और यह कानूनी लड़ाई का रास्ता साफ करेगा।