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Cardiovascular Risk Factors: जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं को हृदय रोगों का खतरा

दुनिया भर में जन्म लेने वाले लगभग 15 फीसद शिशुओं का जन्म के समय 2.5 किलो से कम होता है। ऐसे में संभावना बढ़ जाती है कि भविष्य में वे कार्डियोरेस्पिरटरी डिजीज की चपेट में आ जाएं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 11:33 AM (IST)
Cardiovascular Risk Factors: जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं को हृदय रोगों का खतरा
Cardiovascular Risk Factors: जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं को हृदय रोगों का खतरा

लंदन, आइएएनएस। Impact of Low Birth Weight babies: एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जन्म के समय जिन शिशुओं का वजन कम होता है उनमें बाद की जिंदगी में स्वस्थ शिशुओं के मुकाबले कार्डियोरेस्पिरेटरी (हृदय तथा श्वास संबंधी) बीमारियां होने की आशंका ज्यादा रहती है। अध्ययन में कहा गया है कि स्वस्थ रहने के लिए अच्छी  कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस बेहद महत्वपूर्ण है। इससे कई बीमारियों और समय से पहले मौत का खतरा कम हो सकता है। वैश्विक स्तर पर युवाओं और वयस्कों में कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस में गिरावट आ रही है। साइंस जर्नल जाहा में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि कम कार्डियोरेसपेरेटरी फिटनेस वाले स्वीडिश वयस्कों की संख्या में 2017 लगभग दोगुना (46फीसद) हो गई है। 1995 में इसकी संख्या 27 फीसद थी।  

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शोधकर्ताओं ने कहा कि आकड़ों में यह अंतर भयावह और चिंताजनक है। स्वीडन के कैरोलिनस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता डेनियल बर्गलिंड ने कहा, ‘जन्म के समय शिशुओं के मेटाबॉलिक इक्वलेंट (एमइटी) में लगभग 1.34 वृद्धि देखने को मिली, जो समय से पहले मौत के जोखिम में 13 फीसद तक के अंतर से जुड़ा है। इसके चलते कार्डियोवस्कुलर डिजीज यानी हृदय और श्वास रोग होने की संभावना 15 फीसद तक बढ़ जाती है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि दुनिया भर में जन्म लेने वाले लगभग 15 फीसद शिशुओं का जन्म के समय 2.5 किलो से कम होता है। ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि भविष्य में वे कार्डियोरेस्पिरटरी डिजीज की चपेट में आ जाएं। यह शोध लोगों को जागरूक करेगा। 

इन बातों का रखें ख्याल

ऐसे बच्चों को बालरोग विशेषज्ञ को जरूर दिखाते रहे। ग्रोथ चार्ट की मदद से समय-समय पर इनके वजन, लंबाई आदि की जांच आवश्यक है। साथ ही इनके दिमागी विकास के साथ सुनने की और नजर की जांच स्तर को भी हर चेकअप के दौरान देखा जाना चाहिए। 


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