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2021 में ब्रिटेन में हाइड्रोजन गैस से चलेगी ट्रेनें, प्रदूषण में आएगी कमी

हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें 2021 की शुरुआत में ब्रिटेन में चलेगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 10:06 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 10:06 PM (IST)
2021 में ब्रिटेन में हाइड्रोजन गैस से चलेगी ट्रेनें, प्रदूषण में आएगी कमी
2021 में ब्रिटेन में हाइड्रोजन गैस से चलेगी ट्रेनें, प्रदूषण में आएगी कमी

लंदन, एजेंसी। हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेने जो पानी और भाप के अलावा कोई अपशिष्ट उत्पाद नहीं छोड़ती हैं, ऐसी ट्रेन 2021 की शुरुआत में ब्रिटेन में चलेगी।। बताया जाता है कि 100 से अधिक पर्यावरण के अनुकूल लोकोमोटिव वर्तमान में दो साल के समय में ग्रेटर एंग्लिया नेटवर्क पर बनने के लिए तैयार हैं। इससे प्रदूषण कम होगा इसलिए इस ट्रेन को इको-फ्रेंडली कहा गया है।

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वस्तुतः शांत रहने वाली ट्रेन (Breeze) को संवारा जा रहा है और इसमें यात्री 87 मील प्रति घंटे (140 किमी / घंटा) की रफ्तार से यात्रा कर सकते हैं। हाल ही में इस बारे में एक समझौते पर सहमति व्यक्त की गई है। इसके अनुसार फ्रांसीसी फर्म एल्सटॉम नए युग के इंजनों के निर्माण के लिए परियोजना का नेतृत्व करेगी। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर हाइड्रोजन के ईंधन से बिजली बनाने के लिए एक बैटरी और मोटर का प्रयोग किया जाता है। ट्रेन के बोर्ड में उत्सर्जित होने वाली भाप और पानी और ट्रेन में आयन लिथियम बैटरी से अतिरिक्त ऊर्जा संग्रहीत की जाती है।

हालांकि, ट्रेनों की तैनाती में देरी हुई है क्योंकि वे वर्तमान में अपने पारंपरिक जीवाश्म ईंधन समकक्षों की तुलना में अधिक महंगा है। ब्रिटिश रेल द्वारा 1988 में निर्मित इलेक्ट्रिक ट्रेनों का एक बेड़ा पहली बार रूपांतरण के दौर से गुजरेगा। एल्सटॉम ने एवरसोल्ट रेल के साथ मिलकर काम किया है और इस साल के शुरू में एक प्रोटोटाइप का अनावरण किया, जब यह जर्मनी में यात्रियों को यात्रा पर ले गया।

डीजल गाड़ियों की श्रेणी के समान हाइड्रोजन के एकल टैंक पर लगभग 620 मील (1,000 किमी) तक ट्रेनें चल सकती हैं। जर्मनी की ट्रेन में लोकोमोटिव कैरिज की छत पर हाइड्रोजन तेल का स्‍टोरेज बनाया जाता है, लेकिन इंग्‍लैंड के रेल नेटवर्क की संकरी सुरंगें और तंग स्टेशन चलने लायक बनाया जा रहा है। इसके बजाय ट्रेनों के निर्माता ईंधन के भंडारण के लिए ट्रेन के आगे और पीछे के हिस्सों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे इसकी क्षमता चार ढुलाई से घटकर तीन हो जाएगी। इस पवित्र दृष्टिकोण के लिए ब्रिटिश फर्म पोर्टरब्रुक और बर्मिंघम विश्वविद्यालय मिलकर काम कर रहे हैं। इस साझेदारी से 2019 की गर्मियों तक इस ट्रेन के कामकाजी प्रदर्शन होने की उम्मीद है।

जर्मनी में शुरू हो चुकी है हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन

इससे पहले जर्मनी ने हाइड्रोजन गैस से चलनी वाली ट्रेन "हाइडरेल" की शुरुआत की है। इससे प्रदूषण कम होगा इसलिए इस ट्रेन को इको-फ्रेंडली कहा गया है। यह ट्रेन आने वाले समय में हाइड्रोजन ट्रेन के रूप में रेल नेटवर्क में एक क्रांति लेकर आएगी। यह शुरुआत में 100 किलोमीटर की दूरी तय करेगी इस बीच यह कस्बा और शहरों कक्सहैवन, ब्रेमरहेवन से गुजरेगी।

फ्रांस की मल्टीनेशनल कंपनी ने ट्रेन का तैयार किया

फ्रांस की मल्टीनेशनल कंपनी अलस्टॉम ने इस ट्रेन को तैयार किया है। पिछले मार्च से जर्मनी में ट्रेन के कई चरणों वाले परीक्षण हो रहे है। फ्रांसीसी कंपनी अलस्टॉम के येंस स्प्रोटे का कहना है कि नई ट्रेन पारंपरिक डीजल इंजन की तुलना में 60 फीसदी कम शोर करती है। यह पूरी तरह उत्सर्जन मुक्त है। इसकी रफ्तार और यात्रियों को ले जाने की क्षमता भी डीजल ट्रेन की तरह है। यह ट्रेन पर्यावरण की समस्या को ध्यान में रखते हुए कम कीमत पर यात्रा करवाने के लिए ही तैयार की गई है।

किस तकनीक का होता है इस्‍तेमाल

हाइडरेल डीजल इंजन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करती है, फर्क सिर्फ इंजन की बनावट और ईंधन का है। ट्रेन में डीजल की जगह फ्यूल सेल, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन डाले जाते हैं। ऑक्सीजन की मदद से हाइड्रोजन नियंत्रित ढंग से जलती है और इस ताप से बिजली पैदा होती है। बिजली लिथियम आयन बैटरी को चार्ज करती है और ट्रेन चलती है। इस दौरान धुएं की जगह सिर्फ भाप और पानी निकलता है।

एक बार में 1000 किमी करती है यात्रा

जर्मनी के पांच राज्य फ्रांसीसी कंपनी से 60 ट्रेनें खरीदना चाहते हैं। दो डिब्बों वाली एक ट्रेन को एक फ्यूल सेल और 207 पाउंड के हाइड्रोजन टैंक की जरूरत होगी। एक बार हाइड्रोजन गैस से टैंक फुल करने पर लगभग 1000 किलोमीटर (621 मील) का सफर तय कर सकती है और वो भी 140 किलोमीटर प्रति घंटे (87 मील प्रति घंटे) की अधिकतम स्पीड पर।

जर्मनी में फिलहाल 4,000 डीजल ट्रेनें हैं। योजना के मुताबिक 2018 में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए हाइडरेल उतारी जाएंगी। यूरोपीय संघ के मुताबिक इस वक्त ईयू में 20 फीसदी ट्रेनें डीजल वाली हैं। डेनमार्क, नॉर्वे, यूके और नीदरलैंड्स ने भी इन ट्रेनों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। 


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