ब्रिटेन में आम चुनाव आज, अंतिम दिन पार्टियों ने झोंकी ताकत
ब्रिटेन में आम चुनाव के मतदान से एक दिन पहले बुधवार को सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक दी।
लंदन, एएफपी। ब्रिटेन में आम चुनाव के मतदान से एक दिन पहले बुधवार को सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक दी। विपक्षी लेबर पार्टी के जेरेमी कॉर्बिन ने जहां इसे पीढि़यों को प्रभावित करने वाले चुनाव की संज्ञा दी। वहीं सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि एकमात्र उनकी ही पार्टी है जो देश को ब्रेक्जिट के जाल से निकाल सकती है। ब्रिटेन के निचले सदन की 650 सीटों के लिए गुरुवार को मतदान होगा।
ब्रेक्जिट के लिए जनमत संग्रह माना जा रहा यह चुनाव
यार्कशायर और उत्तरी इंग्लैंड में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा, जब तक हम ब्रेक्जिट से बाहर नहीं निकलते तब तक एक देश के तौर पर हमारा भविष्य अनिश्चित है। हमने विभाजन, विलंब और गतिरोध में एक दशक का समय गंवा दिया। आइए अब हम सब मिलकर ब्रेक्जिट को पूरा करें और अवसर व आशा के साथ आगे बढ़ें। इस देश की क्षमता को उजागर करें।
मुख्य मुकाबला कंजरवेटिव और लेबर पार्टी के बीच
मिडिल्सबरो में एक रैली में लेबर पार्टी के कॉर्बिन (70) ने कहा, यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। जो वोटर अब भी अनिर्णय की स्थिति में हैं, उन्हें मेरा संदेश है कि वह भविष्य में अच्छी उम्मीद के लिए लेबर पार्टी को वोट करें। हम अत्यधिक अमीर और बड़े व्यावसायिक घरानों पर और अधिक टैक्स लगाकर आर्थिक रूप से आपको मजबूत करेंगे क्योंकि आप इसके हकदार हैं। लेबर पार्टी सार्वजनिक सेवाओं और राष्ट्रीयकरण पर बड़े पैमाने पर खर्च करने की योजना बना रही है। इसका एलान उसने अपने घोषणापत्र में भी किया है। जबकि ब्रेक्जिट के मुद्दे पर पार्टी का रुख लचीला है। वह सत्ता में आने पर एक और जनमत संग्रह की बात करती है। तीसरे प्रमुख दल लिबरल डेमोक्रेट के नेता जो स्विनसन ने मतदाताओं से ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के खिलाफ वोट करने की गुहार लगाई है।
कंजरवेटिव पार्टी को मिल सकता है बहुमत
मतदान से एक दिन पहले नए सर्वे में कंजरवेटिव पार्टी को 339 सीटें (2017 के आम चुनाव के मुकाबले 22 ज्यादा) मिलती दिखाई गई हैं। लेबर पार्टी को 231 सीटें (2017 के मुकाबले 31 कम) और स्कॉटिश नेशनल पार्टी को 41 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। लिबरल डेमोक्रेट्स के खाते में सिर्फ 15 सीटें जा रही हैं। पिछले सात दिनों के दौरान यूजीओवी संस्था द्वारा कराए गए सर्वे में लगभग एक लाख लोगों से उनकी राय पूछी गई थी।