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आनलाइन नफरत को बदतर बना रहा फेसबुक, हौगेन ने ब्रिटिश संसदीय समिति के सामने दिया बयान

ब्रिटिश सरकार के मसौदा कानून की छानबीन कर रही संसदीय समिति के समक्ष पेश हौगेन ने बताया कि किस तरह फेसबुक समूह आनलाइन नफरत को बढ़ाता है। यह मुख्यधारा के हितों वाले लोगों को जोड़ने को प्राथमिकता देता है और फिर उन्हें चरमपंथ की तरफ धकेल देता है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 02:49 AM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 02:49 AM (IST)
आनलाइन नफरत को बदतर बना रहा फेसबुक,  हौगेन ने ब्रिटिश संसदीय समिति के सामने दिया बयान
आनलाइन नफरत को बदतर बना रहा फेसबुक : हौगेन

लंदन, एपी।  फेसबुक की पूर्व कर्मचारी ने ब्रिटिश संसदीय समिति के सामने कहा कि सोशल मीडिया फेसबुक आनलाइन नफरत को बदतर बना रहा है।  इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक की पूर्व डाटा विज्ञानी से व्हिसलब्लोअर बनी फ्रांसिस हौगेन (Frances Haugen) ने सोमवार को ब्रिटिश सांसदों को बताया कि फेसबुक आनलाइन नफरत और उग्रवाद को और बदतर बना रहा है। उसने यह भी बताया कि किस तरह से आनलाइन सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सकता है।

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नुकसान पहुंचाने वाली आनलाइन सामग्री से निपटने के लिए ब्रिटिश सरकार के मसौदा कानून की छानबीन कर रही संसदीय समिति के समक्ष पेश हौगेन ने बताया कि किस तरह फेसबुक समूह आनलाइन नफरत को बढ़ाता है। यह मुख्यधारा के हितों वाले लोगों को जोड़ने को प्राथमिकता देता है और फिर उन्हें चरमपंथ की तरफ धकेल देता है। उन्होंने कहा कि समूहों को चरमपंथी विचारों को फैलाने से रोकने के लिए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म माडरेटरों को जोड़ सकती है।

फेसबुक सामग्री से नुकसान के बारे में पर्याप्त आंकड़े : दस्तावेज

सेन फ्रांसिस्को, एपी: फेसबुक कंपनी ही अपने उत्पाद यानी फेसबुक पर अपना नियंत्रण गंवाती जा रही है तथा पिछले कुछ दशकों में उसने विश्व  को जोड़ने वाले एक शुभचिंतक कंपनी की जो छवि बनाई थी, वह भी अब चमक खो रही है।

फेसबुक के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा कांग्रेस को प्रदान किए गए आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार इस पर प्रसारित सामग्री से होने वाले नुकसान के बारे में पर्याप्त आंकड़ा मौजूद है लेकिन समाधान और उन पर कार्रवाई को लेकर इच्छाशक्ति का अभाव नजर आता है।व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस होगेन, जिन्होंने इस महीने सीनेट के समक्ष बयान दिया था, ने भी कहा कि फेसबुक के उत्पाद बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं, विभाजन को बढ़ावा देते हैं और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।'


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