आंख की बीमारी हो सकती है डिमेंशिया की पहली निशानी, पढ़ें- क्या कहता है ये नया अध्ययन
उम्र संबंधी मैक्यूलर डीजेनरेशन बीमारी के चलते आंखों में रेटिना का केंद्र कमजोर हो जाता है। कमजोर नजरें इसका मुख्य लक्षण है। जबकि डिमेंशिया में किसी व्यक्ति की याद रखने सोचने या निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है।
लंदन, एएनआइ। डिमेंशिया रोग को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि इस रोग का आंख की बीमारी से गहरा संबंध हो सकता है। यह बीमारी डिमेंशिया की पहली निशानी हो सकती है। अध्ययन के अनुसार, डिमेंशिया के उच्च खतरे का ताल्लुक उम्र संबंधी मैक्यूलर डीजेनरेशन, मोतियाबिंद और डायबिटीज से जुड़े आंख रोग से हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ आंख संबंधी इस तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
उम्र संबंधी मैक्यूलर डीजेनरेशन बीमारी के चलते आंखों में रेटिना का केंद्र कमजोर हो जाता है। कमजोर नजरें इसका मुख्य लक्षण है। जबकि डिमेंशिया में किसी व्यक्ति की याद रखने, सोचने या निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है। इससे पीडि़त व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन में दिक्कतें आने लगती हैं। आमतौर पर डिमेंशिया 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में होता है।
ब्रिटिश जर्नल आफ आपथैल्मोलाजी में अध्ययन के नतीजों को प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष 55 से 73 वर्ष के 12 हजार 364 लोगों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला है। यूके बायोबैंक के अध्ययन में शामिल किए गए इन प्रतिभागियों पर वर्ष 2006 से लेकर 2021 के शुरू तक नजर रखी गई। इस अवधि में डिमेंशिया के 2,304 मामले पाए गए। डाटा के विश्लेषण में मैक्यूलर डीजेनरेशन, मोतियाबिंद और डायबिटीज संबंधी आंख रोग का संबंध डिमेंशिया के उच्च खतरे से पाया गया। हालांकि ग्लूकोमा से इसका कोई जुड़ाव नहीं पाया गया।