प्रत्यर्पण मामले पर लंदन की हाई कोर्ट ने माना, विजय माल्या के खिलाफ पुख्ता सुबूत
सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से माल्या के खिलाफ सुबूत पेश किए गए और बताया गया कि वह बैंकों से कर्ज के रूप में लिए नौ हजार करोड़ रुपये चुकाने से बचने के लिए ब्रिटेन आया है।
लंदन, प्रेट्र। लंदन की हाई कोर्ट ने माना है कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ बेईमानी के पुख्ता सुबूत हैं। निचली अदालत में प्रत्यर्पण के आदेश को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका पर हाई कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों की पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची। सुनवाई के दौरान 64 वर्षीय माल्या भी कोर्ट में मौजूद रहा और गंभीरता से बहस को सुनता रहा।
कर्ज चुकाने के लिए ब्रिटेन आया माल्या
सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से माल्या के खिलाफ सुबूत पेश किए गए और बताया गया कि वह बैंकों से कर्ज के रूप में लिए नौ हजार करोड़ रुपये चुकाने से बचने के लिए ब्रिटेन आया है। भारत में बैंकों ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रखा है, उसमें पेशी के लिए भारतीय एजेंसियों-सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय को माल्या की जरूरत है।
32 हजार पेज के सुबूत पेश
जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लेइंग की पीठ के समक्ष ब्रिटिश सरकार के अधिवक्ता मार्क समर्स ने कहा, प्रत्यर्पण समझौते के अनुसार माल्या को भारत को सौंपने के लिए 32,000 पेज के सुबूत पेश किए गए हैं। ये सारी कहानी खुद बयां कर रहे हैं।
लंबी सुनवाई में निचली अदालत ने इन्हें सही माना है, इसलिए देर न करते हुए माल्या को भारत प्रत्यर्पित किया जाए जिससे उसके खिलाफ दर्ज मामलों की प्रक्रिया आगे बढ़ सके। जबकि माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस के विफल होने के लिए उसकी अधिवक्ता क्लेयर मॉन्टगुमरी ने भारत सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया। कहा कि भारत की जेट एयरवेज भी इसी कारण में मुश्किलों में फंसी है। माल्या ने अपनी एयरलाइंस के लिए कर्ज लिया था, वह उचित तरीके से उसे वापस लौटाने के लिए तैयार हैं।