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शरणार्थी समझौते पर यूरोपीय संघ नेताओं में नहीं बनी सहमति

यूरोपीय संघ की प्रवासन समझौते पर हुई बैठक में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका। जबकि समझौते पर पहुंचने की समयसीमा इसी महीने निकल चुकी है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 29 Jun 2018 10:49 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 11:17 AM (IST)
शरणार्थी समझौते पर यूरोपीय संघ नेताओं में नहीं बनी सहमति
शरणार्थी समझौते पर यूरोपीय संघ नेताओं में नहीं बनी सहमति

ब्रसेल्स (एजेंसी)। यूरोपीय संघ के द्वारा प्रवास समझौते पर हुए बैठक में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका।जानकारी के मुताबिक, गुरूवार को हुई इस बैठक में इटली ने यूरोपीय संघ के संयुक्त बयान को मानने से मना कर दिया और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए।

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गुरुवार को ब्रसेल्स में हुई दो दिवसीय बैठक में उपस्थित सदस्य आपस में दो राय में बंट गए एक तरफ कुछ नेताओं ने शरणार्थियों से निपटने तो कुछ नेताओं ने प्रवासियों को स्वीकार करने पर अपनी सहमति जताई। बैठक में उपस्थित राजनयिकों ने बाद में मीडिया से कहा कि इस वर्ष शरणार्थियों के आगमन में महत्वपूर्ण गिरावट के बावजूद इनके प्रबंधन तरीके पर समझौता नहीं किया जा सका है।

यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "एक सदस्य ने पूरे मामले पर अपनी राय रखी है, लेकिन इस पूरे मसले पर कोई बेहतर निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।" राजनयिकों ने कहा जो समझौते में अवरुद्ध बन रहा था वह देश इटली था।

टस्क और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन-क्लाउड जुनेकर ने गुरुवार की शाम के लिए निर्धारित एक प्रेस कांफ्रेंस को भी रद कर दिया। दूसरी तरफ फ्रांसीसी राजनयिक ने शिखर सम्मेलन के दौरान पत्रकारों से बातचीत के क्रम में कहा कि, "मैं अभी ये नहीं बता सकता कि सबकुछ ठीक हो गया है। 

इटली के प्रधानमंत्री ज्यूसेपे कॉन्टे ने कहा कि अगर साथी नेता इटली की मदद करने में विफल रहते हैं तो वह ब्रसेल्स में हुए बैठक के निष्कर्षों को समर्थन करने से इनकार कर देंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि इटली को सांत्वना शब्दों की जरुरत नहीं बल्कि एक्शन की दरकार है। उन्होंने आगे कहा कि यह संभव है कि हम एक निष्कर्ष पर पहुंच भी जायें लेकिन मेरी तरफ से ये तय है कि ये साझा निष्कर्ष नहीं होंगे।"

मेर्केल ने गुरूवार को कहा, "यूरोप को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, या तो हम उन्हें स्वीकार कर सकते हैं, ताकि अफ्रीका में लोग ये मानें कि हम मूल्यों से बंधे हैं और एकपक्षवाद में नहीं बल्कि बहुपक्षवाद में विश्वास करते हैं। या फिर ये किया जा सकता है कि हम अपने मूल्यों को दरकिनार कर दें।"

बताया जाता है कि शरणार्थी समझौते तक पहुंचने के लिए समयसीमा बीत चुकी है, लेकिन अब तक इस संबंध में एक भी समाधान पर नहीं पहुंचा जा सका है।


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