हांगकांग के मुद्दे पर चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे विरोधी देश, नया कानून बन सकता है मुसीबत
चीन ने अपनी संसद में हांगकांग को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पास कर दिया है। अब इसके विरोध में कई देश एकजुुुट हो रहे हैं।
ब्रसेल्स/ टोक्यो (रॉयटर्स)। चीन द्वारा हांगकांग के लिए पास किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ कई देश मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। यूरोपीय संघ ने जहां इसको लेकर गुस्सा दिखाया है तो वहीं ब्रिटेन और जापान ने भी अपनी आवाज बुलंद की है। इन देशों का कहना है इस कानून के जरिए चीन पूर्व की ब्रिटिश कॉलोनी हांगकांग की स्थिति में बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है। ईयू काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने चीन का विरोध करते हुए कहा कि चीन की संसद में पास ये कानून केवल एक रबड़ स्टेंप है। ये हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों को दबाने की वजह से किया जा रहा है। उनके मुताबिक हांगकांग के लिए किसी भी सूरत से चीन के अंदर रहकर अपनी आजादी को नहीं जी पा रहे हैं और उनके एक देश और दो कानून नहीं चाहिए। ये उस समझौते का हिस्सा था जिसपर 1997 में चीन और ब्रिटेन ने साइन किए थे।
मिशेल ने कहा कि इस नए कानून का विपरीत असर न सिर्फ यहां के लोगों की आजादी पर पड़ेगा बल्कि यहां की न्यायिक व्यवस्था पर भी पड़ेगा। हालांकि इन सभी विरोध के बावजूद हांगकांग और बीजिंग लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं कि ये केवल उन लोगों पर असर डालेगा जो मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। इसका असर लोगों की आजादी पर नहीं पड़ेगा और न ही यहां होने वाले निवेश पर पड़ेगा। चीन द्वारा दिए गए इस बयान के बावजूद यूरोपीय संघ की तरफ से चेतावनी दी गई है कि यदि हांगकांग के कानूनों और लोकतंत्र समर्थकों पर इसका असर पड़ा तो इसके परिणाम गंभीर होंगे। यूरोपीय कमिशन के प्रमुख उर्सुला वॉन डर लेयर ने इस बारे में कहा कि इसके असर पर नजर रखनी होगी। उन्होंने प्रतिबंधों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बार में दूसरे सदस्य देशों से विचार विमर्श किया जा रहा है।
पिछले सप्ताह यूरोपीय संघ ने इस मुद्दे पर चीन को इंटरनेशनल कोर्ट तक खींचा है। ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमनिक राब का कहना है कि चीन ने ऐसा करके कब्र खोदी है। उन्होंने ये भी कि हम इस मुद्दे पर दूसरे देशों से भी विचार विमर्श कर रहे हैं और इसका सही तरीके से समाधान करना चाहते हैं। ब्रिटेन के अलावा जापान भी इस मुद्दे पर अमेरिका और चीन से बात कर रहा है। । इन सभी के अलावा ताइवान ने भी इस नए कानून के पास होने पर चिंता जाहिर की है। ताइवान का कहना है कि इसका असर बहुआयामी होगा जो यहां के लोगों की आजादी और उनके अधिकारों पर साफतौर पर दिखाई देगा। आपको बता दें ताइवान ने हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के हक में आवाज उठाई थी और उनका अपने यहां पर स्वागत भी किया था। ताइवान के राष्ट्रपति साइइंगवेन ने कहा कि वे चीन द्वारा लिए गए इस फैसले से काफी निराश हैं।