नहीं सुधरे तो धरती बन जाएगी 'भट्टी', कई स्थान हो जाएंगे निर्जन
ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करना होगा जिससे वातावरण और भूमि के नीचे संग्रहित कार्बन डाईआक्साइड को हटाया जा सके।
लंदन, प्रेट्र/आइएएनएस। ग्लोबल वार्मिग के कारण हमारी धरती पर खतरा बढ़ता जा रहा है। एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि अगर हम नहीं सुधरे तो वैश्विक तापमान चार से पांच डिग्री सेल्सियस और समुद्र के जलस्तर में 60 मीटर तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह से धरती के कई स्थान निर्जन हो सकते हैं। हमारी गतिविधियां ऐसी ही रहीं तो पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के बावजूद यह खतरा टाला नहीं जा सकता।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ग्लोबल वार्मिग को 1.5 से दो डिग्री सेल्सियस के दायरे में रखने के बावजूद हालात बेहद कठिनाई भरे हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता विल स्टीफन ने कहा, 'ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन धरती पर तापमान वृद्धि का इकलौता कारक नहीं है।
हमारे अध्ययन से जाहिर होता है कि मानव गतिविधियों के कारण तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में अगर हम ग्रीनहाउस उत्सर्जन को रोक भी देते हैं तो भी ग्लोबल वार्मिग बढ़ सकती है। इस हालात से बचाव के लिए इंसानी गतिविधियों को और नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। इससे धरती के दोहन को रोका जा सकता है।'
स्वीडन के स्टाकहोम रिजिल्यन्स सेंटर के शोधकर्ता जॉन रॉकस्टोर्म ने कहा, 'भट्टी बनने की आशंका अगर हकीकत हो गई तो धरती के कई स्थान निर्जन हो जाएंगे।' जर्मनी के पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के निदेशक एच जोकिम ने कहा, 'हमारे अध्ययन से यह जाहिर होता है कि औद्योगिक काल के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से हमारे पर्यावरण पर किस तरह का दबाव पड़ा है।'
हर दशक बढ़ रहा 0.17 डिग्री सेल्सियस तापमान
स्टीफन के अनुसार, इस समय वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में एक डिग्री सेल्सियस से थोड़ा ज्यादा है। अभी हर दशक में 0.17 डिग्री सेल्सियस की दर से तापमान बढ़ रहा है।
बड़े बदलाव का कारण मानव गतिविधियां
मानव गतिविधियों की प्रक्रिया को फीडबैक के तौर पर जाना जाता है। इन फीडबैक में समुद्र की तलहटी में मीथेन हाइड्रेट्स में गिरावट, समुद्र में बैक्टीरिया की वृद्धि, अमेजन और उत्तरी जंगलों के खत्म होने के अलावा उत्तरी गोलार्द्ध, आर्कटिक और अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों का सीमित होना शामिल है।
ऐसे हो सकता है बचाव
शोधकर्ताओं के मुताबिक, धरती को भट्टी बनने से रोका जा सकता है। इसके लिए ना सिर्फ कार्बन डाईआक्साइड और दूसरी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लानी होगी बल्कि वनों, कृषि और मृदा प्रबंधन को बेहतर करना पड़ेगा। ऐसी तकनीक का भी इस्तेमाल करना होगा जिससे वातावरण और भूमि के नीचे संग्रहित कार्बन डाईआक्साइड को हटाया जा सके।