जेनेटिक अध्ययन से खोजी जाएगी कोविड-19 की काट, अध्ययन करने में जुटे वैज्ञानिकों ने क्या कहा?, जानें
इस अध्ययन के लिए करीब 20 हजार ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा जो कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हैं या भर्ती रह चुके हैं।
लंदन, रायटर। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के साथ-साथ वैज्ञानिक लगातार इसकी काट खोजने के प्रयास में लगे हुए हैं। इस बीच वैज्ञानिक समुदाय में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर जो वायरस कुछ लोगों की जान ले लेता है, वही कुछ लोगों को जरा सा सिरदर्द भी क्यों नहीं दे पाता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस गुत्थी को सुलझा लिया गया तो कोरोना का इलाज खोजने की दिशा में बड़ी सफलता मिल सकती है।
ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अब जेनेटिक कोड का अध्ययन करने में जुट गए हैं। इसके लिए वैज्ञानिक कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार लोगों और वायरस से संक्रमण के बाद भी हल्के बुखार या बिना बुखार वाले लोगों के जेनेटिक कोड की सिक्वेंसिंग करते हुए तुलना करेंगे।
इस अध्ययन के लिए करीब 20 हजार ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा, जो कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हैं या भर्ती रह चुके हैं। इसके अलावा बहुत हल्के लक्षणों वाले 15 हजार लोगों को शामिल किया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले साल चीन से दुनियाभर में फैले इस वायरस के बारे में अभी बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। यही कारण है कि अभी इसके असर को लेकर बहुत सी बातें ज्ञात नहीं हैं।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जीनोम सिक्वेंसिंग से इस राज का पता लगाया जा सकता है। यूनिवíसटी ऑफ एडिनबरा के केनेथ बेली ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग से इस बात का पता चलने की उम्मीद है कि कैसे यह बीमारी लोगों की जान ले लेती है। हालांकि यह बहुत आसान नहीं है। एक व्यक्ति में करीब तीन अरब जोड़ी डीएनए होते हैं। अगर वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस के असर के जेनेटिक कारण का पता लग सका, तो इस महामारी को रोकने में बड़ी मदद मिल सकती है।