चिंता के कारण लग सकती है स्मार्टफोन की लत
ब्रिटेन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में स्मार्टफोन के प्रयोग और व्यक्तिगत खासियतों के बीच देखा गया संबंध
लंदन (प्रेट्र)। हमारी सुविधा के लिए बनाया गया स्मार्टफोन आज हमारे लिए सबसे बड़ी बीमारी बनने लगा है। आखिर क्या वजह है कि जरूरत पड़ने पर हमारे काम आसान करने वाले स्मार्टफोन का इस्तेमाल हम जरूरत से ज्यादा करने लगे हैं। इस संबंध में एक अध्ययन किया गया, जिसमें किन कारणों से और किन लोगों को इसकी लत लग सकती है यह सामने आया। अध्ययन से पता चला कि भावनात्मक रूप कम स्थिर और चिंता ग्रस्त लोगों में स्मार्टफोन की लत लगने की आशंका अधिक होती है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ डर्बी और नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 640 स्मार्टफोन यूजर्स पर एक अध्ययन किया। इन सभी यूजर्स की आयु 13 से 69 वर्ष के बीच थी। इसमें व्यक्तिगत खासियतोंऔर स्मार्टफोन के प्रयोग के बीच संबंध को देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे होते हैं, यानी तनावग्रस्त होते हैं वे लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल इससे निकलने के तौर पर करने लगते हैं। इसके चलते उन्हें स्मार्टफोन की लत लग जाती है।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि जो लोग कम ईमानदार होते हैं, उनके भी स्मार्टफोन की लत में पड़ने की आशंका अधिक होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अध्ययन से पता चला है कि चिंता के स्तर के बढ़ने के साथ व्यक्ति स्मार्टफोन का इस्तेमाल ज्यादा करने लगता है और इस तरह वो उसकी गिरफ्त में फंसता
चला जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ डर्बी में लेक्चरर जहीर हुसैन के मुताबिक, वर्तमान में दुनियाभर में चार अरब से भी ज्यादा लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। आज स्मार्टफोन जीवन की सबसे प्रमुख जरूरतों में से एक हो गया है। उन्होंने बताया कि इस विषय पर पहले भी कई अध्ययन किए, लेकिन इस बार स्मार्टफोन की लत और लोगों की व्यक्तिगत खासियतों के बारे में संबंध का अध्ययन किया गया।
इसमें सामने आया कि भावनात्मक रूप से कमजोर लोग अक्सर लोगों के सामने स्वयं को मजबूत नहीं पाते हैं। ऐसे में तनाव की स्थिति पैदा होती है, जिसे कम करने के लिए वो स्मार्टफोन से दोस्ती कर लेते हैं। बस यहीं से गलती शुरू हो जाती है।
ये दिया सुझाव
हुसैन के मुताबिक, भावनात्मक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है। ये कमजोरी ही इंसान को चिंता और तनावग्रस्त बनाती है। इन व्यावहारिक खासियतों का सीधा संबंध स्मार्टफोन के प्रयोग से होता है। वर्तमान में भावनात्मक रूप से कमजोर लोगों को कई बार परिवार तो कई बार दोस्तों से उतना सहयोग नहीं मिल पाता, जितने की वे उम्मीद करते हैं। इसके चलते अवसाद, तनाव और चिंता होना स्वभाविक है। इसके परिणामस्वरूप वे अपना ज्यादा समय स्मार्टफोन को देने लगते हैं और उसकी लत लग जाती है।
हुसैन सुझाव देते हैं कि ये चिंता का विषय है। यदि आप भावनात्मक रूप से स्वयं को कमजोर महसूस कर रहे हैं तो अपनों से बात करें। बात करने से ही समस्या का समाधान संभव है। स्मार्टफोन का बेजा इस्तेमाल कोई हल नहीं है।