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ब्रिटेन में लेबर पार्टी के भारत विरोधी रूख से NRI नाराज, पार्टी के खिलाफ खोला मार्चा

लेबर पार्टी के भारत विरोधी रुख और कश्मीर मुद्दे पर उसकी नकारात्मक सोच से ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग भड़क उठे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 07:41 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 08:14 PM (IST)
ब्रिटेन में लेबर पार्टी के भारत विरोधी रूख से NRI नाराज, पार्टी के खिलाफ खोला मार्चा
ब्रिटेन में लेबर पार्टी के भारत विरोधी रूख से NRI नाराज, पार्टी के खिलाफ खोला मार्चा

लंदन, आइएएनएस। लेबर पार्टी के भारत विरोधी रुख और कश्मीर मुद्दे पर उसकी नकारात्मक सोच से ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग भड़क उठे हैं। इसके चलते जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व वाली पार्टी के खिलाफ चुनाव प्रचार में भारतीय उतर आए हैं। स्वाभाविक रूप से भारतीयों का रुझान सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी की ओर बढ़ा है।

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मंदिरों में चला रहे जनसंपर्क अभियान 

मिली जानकारी के अनुसार ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ भारतीय जनता पार्टी (ओएफबीजेपी) के पदाधिकारी मंदिरों में जाकर जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं और कंजरवेटिव पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं। यह सिलसिला पूरे ब्रिटेन में चल रहा है। कई हिंदू संगठन भी इस तरह के चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वे लेबर पार्टी के खिलाफ और कंजरवेटिव पार्टी के समर्थन में वोट डालने की अपील कर रहे हैं। वे एंटी इंडिया, एंटी मोदी और एंटी हिंदू..सोच रखने वाली लेबर पार्टी को खारिज करने का नारा लगा रहे हैं।

मेयर सादिक खान से लिया समर्थन वापस

रविवार को दीवाली के मौके पर भारतीय समुदाय ने लंदन के मेयर सादिक खान से अपना समर्थन वापस लेने का एलान किया। ऐसा सादिक के भारतीय उच्चायोग के समक्ष प्रदर्शन और वहां तोड़फोड़ करने वालों का समर्थन करने के कारण किया गया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुई इस घटना में भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान भी किया गया था। इस घटना में मुख्य रूप से पाकिस्तानी मूल के लोगों ने हिस्सा लिया था। सादिक खान भी भारतीय मूल के हैं।

लकवाग्रस्त कर दी थी संसद : जॉनसन

12 दिसंबर को होने वाले आम चुनाव के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कंजरवेटिव पार्टी के औपचारिक चुनाव प्रचार का एलान कर दिया। इस मौके पर उन्होंने कहा, ब्रेक्जिट के लिए यूरोपीय यूनियन से हुआ समझौता हर उम्मीद पूरी करेगा। वह उसके लिए संकल्पबद्ध हैं। उन्होंने कहा, कुछ लोगों के समूह ने संसद को लकवाग्रस्त कर दिया था और वहां के कामकाज पर रोक लगा दी थी। इसलिए संसद के लिए नए सिरे से चुनाव जरूरी हो गया था। उन्होंने लोगों से अच्छी सोच वाले लोगों को चुनने का आह्वान किया।


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