ब्रिटेन में कोरोना के मरीजों पर आइबूप्रोफेन का परीक्षण, दवा के विशेष फॉर्मूलेशन का हो रहा प्रयोग
ब्रिटेन में विशेषज्ञ कोरोना मरीजों पर आइबूप्रोफेन का परीक्षण कर रहे हैं। कुछ अन्य बीमारियों में इस्तेमाल के लिए इस फॉर्मूलेशन को ब्रिटेन में मंजूरी मिली हुई है।
लंदन, रायटर। ब्रिटेन के डॉक्टर कोविड-19 के गंभीर मरीजों पर एंटी इन्फ्लेमेटरी दवा आइबूप्रोफेन का परीक्षण कर रहे हैं। डॉक्टर यह जानने की कोशिश में हैं कि इस दवा के इस्तेमाल से श्वसन तंत्र के फेल होने के मामले कम हो सकते हैं या नहीं। कोविड-19 के मरीजों पर चिकित्सक स्टैंडर्ड आइबूप्रोफेन के बजाय इसका एक अलग फॉर्मूलेशन आजमा रहे हैं। कुछ अन्य बीमारियों में इस्तेमाल के लिए इस फॉर्मूलेशन को ब्रिटेन में पहले से ही मंजूरी मिली हुई है।
एनआइएचआर मॉडसले बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर मैथ्यू होटोफ ने कहा कि अगर परीक्षण सफल रहा तो इस महामारी से निपटने के लिए सस्ती और प्रभावी दवा उपलब्ध हो सकेगी। लिबरेट के नाम से हो रहा यह परीक्षण एक रैंडम स्टडी है। इसमें अगले कुछ महीनों में करीब 230 मरीजों को शामिल किए जाने का अनुमान है। यह अध्ययन गाइज एंड सेंट थॉमस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट, किंग्स कॉलेज लंदन और फार्मा संगठन सीक ग्रुप की ओर से किया जा रहा है।
मार्च में फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि कोविड-19 के लक्षण वाले मरीजों को आइबूप्रोफेन जैसी एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के दवा नियामकों का कहना है कि आइबूप्रोफेन के कारण कोविड-19 के लक्षण ज्यादा गंभीर होने का कोई प्रमाण नहीं है।
केसीएल के सेंटर फॉर इनोवेटिव थेराप्युटिक्स के डायरेक्टर मितुल मेहता ने कहा कि आइबूप्रोफेन के कारण होने वाले कुछ गैस्टि्रक साइड इफेक्ट को देखते हुए कोविड-19 के शुरुआती लक्षणों में पैरासिटामॉल को आइबूप्रोफेन से बेहतर माना गया है। बावजूद इसके, ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि जिससे फ्रांस सरकार के इस दावे की पुष्टि हो सके कि आइबूप्रोफेन से कोविड-19 के लक्षण बिगड़ जाते हैं। ट्रायल में जिस फॉर्मूलेशन का प्रयोग किया जा रहा है, उसके साइड इफेक्ट कम हैं। मेहता ने कहा कि दवा के साइड इफेक्ट और इसकी क्षमता को जानने के लिए ट्रायल सही तरीका है।