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व्यापार समझौते के लिए वार्ता से ठीक पहले ब्रिटेन की दो टूक, नुकसान उठाकर ईयू से नहीं करेगा समझौता

ब्रिटेन की ओर से मुख्य वार्ताकार डेविड फ्रॉस्ट ने द मेल से वार्ता में कहा कि समझौते को लेकर हमारी बातों को ईयू गंभीरता से नहीं ले रहा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 11:15 PM (IST)
व्यापार समझौते के लिए वार्ता से ठीक पहले ब्रिटेन की दो टूक, नुकसान उठाकर ईयू से नहीं करेगा समझौता
व्यापार समझौते के लिए वार्ता से ठीक पहले ब्रिटेन की दो टूक, नुकसान उठाकर ईयू से नहीं करेगा समझौता

लंदन, रायटर। ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन (EU) से साफ कर दिया है कि समझौते के नाम पर वह कोई नुकसान उठाने को तैयार नहीं है। उसे इस बात की भी परवाह नहीं है कि साल के अंत तक कोई परिणाम नहीं निकलेगा और बिना शर्त ईयू से अलगाव (Brexit) हो जाएगा। ब्रिटेन का ईयू से 31 जनवरी को अलगाव हो चुका है लेकिन व्यापार संधि को लेकर दोनों में अभी सहमति नहीं बन पाई है। दिसंबर 2020 तक पुरानी व्यवस्था पर ही व्यापार चलेगा।

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ब्रिटेन की ओर से मुख्य वार्ताकार डेविड फ्रॉस्ट ने द मेल से वार्ता में कहा कि समझौते को लेकर हमारी बातों को ईयू गंभीरता से नहीं ले रहा। हम उनसे कहना चाहते हैं कि वे हमें गंभीरता से लें और समझौते के लिए वार्ता को आगे बढ़ाएं। अगले दौर की वार्ता मंगलवार से लंदन में शुरू होगी। इसमें ब्रिटेन का जोर सरकारी सहायता को लेकर पूरी स्वतंत्रता और समुद्र में मछली पकड़ने के अधिकार पर होगा।

हितों की रक्षा के लिए ब्रिटेन की जनता ने दिया वोट

फ्रॉस्ट ने कहा कि हम कुछ ज्यादा नहीं चाह रहे। हम किसी तरह से अपने लागू कानूनों की बिना पर समझौता नहीं कर सकते। हम ईयू की शर्त पर उसके मैदान में जाकर नहीं खेल सकते। हम एक स्वतंत्र देश हैं, ब्रिटेन की जनता ने हमें अपने हितों की रक्षा के लिए वोट दिया है।

मुख्य वार्ताकार ने कहा कि अगली बैठक सफल हो, इसके लिए ब्रिटेन ने काफी तैयारी की है। अगर हम कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी व्यापार संधि कर पाते हैं तो दोनों पक्षों के लिए यह बड़ी सफलता होगी।

2016 में ब्रेक्जिट पर कराया गया था जनमत संग्रह

बता दें कि ब्रिटेन 1973 में यूरोपीय यूनियन से जुड़ा था। 28 देशों के इस समूह से अलग होने के लिए वर्ष 2016 में ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह कराया गया था। जनमत संग्रह पर जनता की मुहर के बावजूद ब्रिटेन को ईयू से अलग होने में करीब 43 महीने का वक्त लग गया। संसद के गतिरोध के कारण तीन बार ब्रेक्जिट की समय सीमा बढ़ाई गई। संसद से प्रस्ताव पारित नहीं होने पर पिछले साल कंजरवेटिव नेता टेरीजा मे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।


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