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ब्रिटेन का ईयू को झटका, ब्रेक्जिट समझौता नकारने का बिल पारित; मर्जी के मुताबिक व्यापार

इस विधेयक के कानून का रूप लेने पर ब्रिटेन अपनी मर्जी के मुताबिक व्यापार समझौते और अन्य कदम उठा सकेगा।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 09:27 AM (IST)
ब्रिटेन का ईयू को झटका, ब्रेक्जिट समझौता नकारने का बिल पारित; मर्जी के मुताबिक व्यापार
ब्रिटेन का ईयू को झटका, ब्रेक्जिट समझौता नकारने का बिल पारित; मर्जी के मुताबिक व्यापार

लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन में यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ हुए ब्रेक्जिट समझौते को नकारने वाले विवादित विधेयक को हाउस ऑफ कॉमंस ने पारित कर दिया है। अब यह विधेयक संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में जाएगा। इस विधेयक के कानून का रूप लेने पर ब्रिटेन अपनी मर्जी के मुताबिक व्यापार समझौते और अन्य कदम उठा सकेगा। ईयू का उसके फैसलों में कोई दखल नहीं रहेगा।

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ब्रिटिश संसद के ताजा फैसले से ब्रिटेन और बाकी यूरोप के सदियों पुराने संबंधों में दरार आ गई है। इसका असर आने वाले समय में और ज्यादा विकृत रूप में दिखाई दे सकता है। सत्ता पक्ष, विपक्ष और ईयू से उठ रहे तीखे विरोध के बीच प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को हाउस ऑफ कॉमंस से इंटर्नल मार्केट बिल पारित करा लिया। बिल के समर्थन में 340 जबकि विरोध में 263 सांसदों ने मत डाले। सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के दो सांसदों-सर रोजर गेल और एंड्रयू पर्सी ने बिल के खिलाफ वोट डाला जबकि 30 सांसदों ने मतदान का बहिष्कार किया।

सरकार ने कहा है कि यह विधेयक ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के सभी जायज अधिकारों की रक्षा करेगा। इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड ईयू के साथ व्यापार समझौता कर सकेंगे। लेकिन आलोचकों ने कहा है कि ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़कर नया कानून बनाने जा रहा है। उसने ईयू के साथ हुए समझौते को बिना विचार-विमर्श किए एकतरफा तोड़ने का कदम उठाया है। इसका दुनिया में गलत संदेश गया है।

इससे पहले ब्रिटेन ने ईयू के साथ समझौता कर 31 जनवरी को 28 सदस्य देशों वाला समूह छोड़ा था। समझौते के अनुसार 31 दिसंबर 2020 तक दोनों पक्षों को नया व्यापार समझौता करना था। लेकिन कोविड महामारी के चलते कई महीने बाद सात सितंबर को व्यापार समझौते पर नए चरण की वार्ता शुरू होने से पहले ही ब्रिटेन ने इससे हटने के संकेत दे दिए। कहा, पिछले चरणों की वार्ता में ईयू ने उस पर दबाव बनाने का काम किया। इसके चलते उसके हितों को चोट पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है। वार्ता शुरू होने के साथ ही ब्रिटिश सरकार ने संसद में विधेयक पेश कर दिया, जिससे दोनों पक्षों में गतिरोध पैदा हो गया और वार्ता विफल हो गई।


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