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ब्रिटेन में फ‍िर संवैधानिक संकट गहराया, यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसले पर रार

लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता जो स्विंसन ने कहा कि यूरोपीय संघ से बिना समझौते के अलग होना अपना घर जलाने जैसा होगा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 09:37 AM (IST)
ब्रिटेन में फ‍िर संवैधानिक संकट गहराया, यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसले पर रार
ब्रिटेन में फ‍िर संवैधानिक संकट गहराया, यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसले पर रार

लंदन, एजेंसी। ब्रिटेन में संवैधानिक संकट गहराता जा रहा है। कयास लगाया जा रहा है कि शीर्ष अदालत अगर संसद सत्र के निलंबन को गैरकानूनी ठहराती है तो प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सत्र बुला सकते हैं। जॉनसन यूरोपीय संघ से समझौता होने या नहीं होने, किसी भी सूरत में 31 अक्टूबर को ब्रिटेन को अलग करने पर अड़े हैं। जबकि विपक्ष उन्हें ऐसा करने से रोकने में लगा है। विपक्ष का कहना है कि बिना समझौते के यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला ब्रिटेन के लिए विनाशकारी होगा। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता जो स्विंसन ने कहा कि यूरोपीय संघ से बिना समझौते के अलग होना अपना घर जलाने जैसा होगा। 

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बता दें कि संसद सत्र निलंबित करने के सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई शुरू होने पर सरकार के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए यह बात कही। विपक्ष ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने ब्रेक्जिट को लेकर अपनी योजना पर विरोध को रोकने के लिए सत्र को निलंबित किया है।विपक्षी दलों ने ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में जॉनसन के फैसले को चुनौती दी है। मंगलवार से शुरू हुई सुनवाई तीन दिनों तक चलेगी। स्कॉटलैंड में सरकार के चीफ लॉ अधिकारी रिचर्ड कीन ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत सरकार के फैसले को गैरकानूनी बताती है तो प्रधानमंत्री जॉनसन महारानी से संसद सत्र बुलाने का अनुरोध कर सकते हैं।

ब्रेक्जिट के विरोध में अभियान चलाने वाली भारतीय मूल की गिना मिलर ने सबसे पहले हाई कोर्ट में जॉनसन के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने तब कहा था कि यह मामला अदालत की परिधि में तो नहीं आता, लेकिन उसने मिलर को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति दे दी थी। उसी के बाद सुप्रीम कोर्ट में 11 जजों की पीठ इस पर सुनवाई कर रही है। 

जॉनसन ने 28 अगस्त को एलान किया था कि उन्होंने महारानी एलिजाबेथ से 14 अक्टूबर तक संसद का अवसान या पांच हफ्ते के लिए निलंबित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि नए विधायी एजेंडे को पेश करने के लिए यह निलंबन जरूरी था।  

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