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ब्रिटेन और अमेरिका में लोकलुभावन राजनीति की देन हैं ब्रेक्जिट और शटडाउन

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से जुड़े प्रोफसर माइकल लिंड ने कहा, कल्चर वार अब बॉर्डर वार में तब्दील हो गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 01:06 AM (IST)
ब्रिटेन और अमेरिका में लोकलुभावन राजनीति की देन हैं ब्रेक्जिट और शटडाउन
ब्रिटेन और अमेरिका में लोकलुभावन राजनीति की देन हैं ब्रेक्जिट और शटडाउन

द न्यूयॉर्क टाइम्स, लंदन। दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र ब्रिटेन और अमेरिका में इन दिनों अजब सी स्थिति बनी हुई है। ब्रिटेन की संसद यूरोपीय संघ से बाहर होने के मुद्दे पर उलझी हुई है। वहीं अमेरिका में बजट पर सहमति नहीं बनने के कारण शटडाउन चल रहा है। अमेरिका के इतिहास में यह सबसे बड़ा शटडाउन है। 22 दिसंबर को शुरू हुआ शटडाउन अपने 23 दिन पार कर चुका है। इससे पहले 1995-96 में 21 दिन लंबा शटडाउन चला था।

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अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा शटडाउन

इन दोनों देशों में बनी स्थितियों के पीछे राजनीतिक विश्लेषक एक जैसा ही कारण देख रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्थिति लोकलुभावन राजनीति की देन है। चुनावी वादे को पूरा करने की ललक में यह स्थिति बनी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान ही मेक्सिको से लगी सीमा पर दीवार खड़ी करने की बात कही थी। अब इस दीवार के लिए पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपये) के फंड को संसद से मंजूरी नहीं मिलने के कारण करीब चौथाई सरकारी विभागों का कामकाज बंद पड़ा है। इस स्थिति से निपटने के लिए ट्रंप आपातकाल का रास्ता अपनाने की तैयारी में हैं।

अमेरिका में भी बजट पर सहमति नहीं बनी तो लग सकता है आपातकाल

ट्रंप की इमीग्रेशन पॉलिसी के सूत्रधार रहे स्टीव बेनन का कहना है कि सदन में बजट पर सहमति नहीं बनने पर ट्रंप आपातकाल का रास्ता अपनाएंगे। वहीं दूसरी ओर, ब्रिटेन भी ब्रसेल्स से किसी समझौते पर पहुंचे बिना ही मार्च में यूरोपीय संघ से बाहर होने का फैसला कर सकता है। मुश्किल का सामना दोनों पक्षों को करना पड़ेगा।

प्रवासी संकट पर राजनीति का पेच

ब्रिटेन और अमेरिका दोनों ही देशों में बनी स्थिति के केंद्र में कहीं ना कहीं प्रवासी संकट ही है। ब्रिटेन में 1968 में ही प्रवासी संकट ने राजनीति में जगह बनानी शुरू कर दी थी। उस समय सांसद इनोच पॉवेल ने प्रवासियों को बाहर करने की बात कही थी। उनके इस बयान ने 1970 उनकी कंजर्वेटिव पार्टी को जबर्दस्त जीत दिलाई थी। इसके बाद पिछले दो दशक में इस्लामी आतंकियों द्वारा हुए हमलों के कारण एक बार फिर ब्रिटेन में प्रवासियों के खिलाफ आवाज उठी है।

बिना पूर्ण सहमति के ही ब्रेक्जिट की ओर कदम बढ़ाता दिख रहा है ब्रिटेन

दूसरी ओर, अमेरिका में स्थानीय लोगों के बीच यह सोच मजबूत हुई है कि बाहर से आने वाले लोग उनके रोजगार छीन रहे हैं। प्रवासियों ने कुशल व अकुशल दोनों तरह के रोजगार पर कब्जा कर लिया है। 2008 के वित्तीय संकट ने इस धारणा को और मजबूती दी थी। हाल में हुई कुछ आपराधिक घटनाओं ने भी स्थानीय लोगों के मन में प्रवासियों के प्रति नफरत भरी है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से जुड़े प्रोफसर माइकल लिंड ने कहा, 'कल्चर वार अब बॉर्डर वार में तब्दील हो गया है।' विदेश नीति के जानकार रॉबर्ट कागन भी ब्रेक्जिट और मेक्सिको सीमा पर दीवार दोनों को एक ही सोच से उपजी स्थिति मान रहे हैं।

उनका यह कहना भी है कि बाकी दुनिया से कट कर रहने की यह सोच ब्रिटेन या अमेरिका के लिए नई नहीं है। भौगोलिक रूप से दोनों बाकी दुनिया से समंदर के जरिये कटे हुए हैं। एक बार फिर दोनों देश अपनी उसी द्विपीय देश वाली पहचान की ओर लौटने को उत्सुक हैं, जहां बाकी दुनिया से कोई संबंध न रहे।


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