ओमिक्रोन के खिलाफ भी बेहतर सुरक्षा देती है बूस्टर डोज, रिसर्च में आया सामने
फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूसीएलएच बायोमेडिकल रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका या फाइजर बायोएनटेक वैक्सीन की केवल दो डोज ली थीं उनमें बनी एंटीबाडी अल्फा और डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट को बेअसर करने में कम सक्षम थीं।
लंदन, आइएएनएस। कोरोना वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज एंटीबाडी के स्तर को बढ़ाने में सक्षम है। यह निष्कर्ष प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों से सामने आया है। एंटीबाडी का बढ़ा हुआ स्तर ओमिक्रोन वैरिएंट को बेअसर कर देता है। द लैंसेट में प्रकाशित एक शोध पत्र में यह जानकारी दी गई है।
फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूसीएलएच बायोमेडिकल रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका या फाइजर बायोएनटेक वैक्सीन की केवल दो डोज ली थीं, उनमें बनी एंटीबाडी अल्फा और डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट को बेअसर करने में कम सक्षम थीं।
उन्होंने यह भी पाया कि दूसरी खुराक के बाद पहले तीन महीनों में एंटीबाडी का स्तर गिर गया, लेकिन तीसरी डोज यानी बूस्टर ने एंटीबाडी के स्तर को बढ़ा दिया जिसने ओमिक्रोन को प्रभावी ढंग से बेअसर करने में मदद मिली। जिन लोगों ने तीनों खुराक के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन ली उनमें ओमिक्रोन के प्रति एंटीबाडी का स्तर तीसरी डोज के बाद, डेल्टा के खिलाफ केवल दो डोज के बाद स्तर के समान था। कुल मिलाकर बूस्टर डोज लेने से एंटीबाडी का स्तर, दो डोज लेने से लगभग 2.5 गुना अधिक था।
कुल मिलाकर बूस्टर डोज लेने से एंटीबाडी का स्तर, दो डोज लेने से लगभग 2.5 गुना अधिक था। यूसीएलएच की संक्रामक रोग सलाहकार एम्मा वाल ने कहा कि जिन लोगों ने बूस्टर डोज या पहली डोज नहीं ली है, उन्हें अब देर नहीं करनी है। ऐसे में टीकाकरण केंद्र पर आने वालों को यह समझाने की जरूरत है कि बूस्टर डोज ही ओमिक्रोन से बचाव का बेहतर उपाय है।
उन्होंने कहा कि हो सकता है दो डोज से बनी प्रतिरोधक क्षमता को ओमिक्रोन वैरिएंट धता बता दे, लेकिन शुक्र है कि बूस्टर डोज लेने से प्रभावी तौर पर इससे रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की तीसरी डोज से हमारी प्रतिरोधक क्षमता इतनी बढ़ जाती है कि कोरोना से संक्रमित होने पर बीमारी गंभीर रूप नहीं ले पाती।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस अध्ययन में शामिल 364 लोगों के 620 रक्त नमूनों पर परीक्षण किए गए।शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दो डोज ले रखी हैं और उन्हें पहले कभी कोरोना का संक्रमण हुआ था उनमें एंटीबाडी का स्तर उन लोगों के मुकाबले बेहतर था, जिन्होंने दो डोज तो लिए थे लेकिन संक्रमण नहीं हुआ था। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हाल ही में स्वीकृत सिंथेटिक मोनोक्लोनल एंटीबाडी जेवुडी (सोट्रोविमैब) का उपयोग ओमिक्रोन को गंभीर होने से रोकने में सक्षम है।