बरमूडा में 'गे मैरिज' को फिर मिली कानूनी मान्यता, कोर्ट ने पलटा प्रतिबंध कानून
बरमूडा की शीर्ष अदालत ने सरकार के समलैंगिक विवाह प्रतिबंध के फैसले को उलट दिया है। बरमूडा में गे मैरिज को फिर मिली कानूनी मान्यता।
बरमूडा, रॉयटर्स। बरमूडा की शीर्ष अदालत ने सरकार के समलैंगिक विवाह प्रतिबंध के फैसले को उलट दिया है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कहा समान लिंग विवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून असंवैधानिक था। बरमूडा कोर्ट ऑफ अपील के अध्यक्ष सर स्कॉट बेकर ने कहा, 'हमने अटॉर्नी जनरल की अपील को खारिज कर दिया।' उनके इस फैसले के साथ ही कोर्टरूम और देश में मौजूद समलैंगिक अधिकार के समर्थकों के चेहरे खुशी से खिल उठे। बता दें कि बरमूडा समलैंगिक विवाह को वैध बनाने और फिर उसे गैरकानूनी बनाने वाला दुनिया का पहला देश है। हालांकि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद समलैंगिक विवाह को फिर से कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई है।
दरअसल, बरमूडा के गवर्नर जॉन रैंकिन ने पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक विवाह को स्वीकृति दिए जाने के बावजूद समलैंगिक विवाह के अधिकार को रद करने वाले अधिनियम को मंजूरी दी थी। हालांकि सरकार के इस फैसले को शीर्ष अदालत ने पलट दिया है। बता दें कि मई 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद बरमूडा में करीब आधा दर्जन समलैंगिक विवाह हुए थे।
दो साल पहले बरमूडा में समान विवाह अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई शुरू करने वाले समलैंगिक बरमूडियन विंस्टन गॉडविन ने अदालत के फैसले पर कहा, 'प्यार की एक बार फिर जीत हुई है। मेरी शादी किसी और को प्रभावित नहीं करती है।' गृह मंत्री वाल्टर रोबैन ने एक बयान में कहा, 'इस मसले पर अपील करने के लिए हमें बरमूडियन की अपेक्षाओं का ध्यान रखना चाहिए। कानून उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा पारित किया गया है, जो उनके लोकतांत्रिक रूप से व्यक्त विचारों को प्रतिबिंबित करेगा।' प्रतिबंधों को चुनौती देने वाले वकीलों ने तर्क दिया कि सरकार का कानून बनाने का निर्णय 60,000 लोगों के छोटे अटलांटिक द्वीप पर एक शक्तिशाली धार्मिक लॉबी को खुश करने के प्रयास से प्रेरित किया गया था।