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माल्या की तरफ से उतरे बैकिंग एक्सपर्ट

अदालत में तर्क दिया गया कि विजय माल्या की मंशा सरकार से धोखाधड़ी की नहीं थी। किंगफिशर एयरलाइंस के फेल होने की वजह वैश्विक उठापटक थी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 07 Dec 2017 10:46 PM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 10:46 PM (IST)
माल्या की तरफ से उतरे बैकिंग एक्सपर्ट
माल्या की तरफ से उतरे बैकिंग एक्सपर्ट

लंदन, प्रेट्र: लंदन में प्रत्यर्पण को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान भगोड़े शराब कारोबारी की तरफ से बैकिंग मामलों के विशेषज्ञ को गवाह के तौर पर पेश किया गया। अदालत में तर्क दिया गया कि विजय माल्या की मंशा सरकार से धोखाधड़ी की नहीं थी। किंगफिशर एयरलाइंस के फेल होने की वजह वैश्विक उठापटक थी।

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वेस्टमिंस्टर कोर्ट में तीसरे दिन की सुनवाई में बैकिंग एक्सपर्ट पाल रेक्स ने अदालत में अपने तर्क रखे। माल्या के वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से पैरवी कर रही क्राउन प्रासीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) अभी तक यह साबित करने में असफल रही है कि उनके मुवक्किल ने धोखाधड़ी की। उनका तर्क था कि भारत में माल्या का प्रत्यर्पण एक राजनीतिक लाभ उठाने का मुद्दा बन गया है। भाजपा, कांग्रेस व शिवसेना इसका राजनीतिक फायदा लेने की फिराक में हैं। पाल रेक्स ने अदालत में फरवरी 2012 के स्टेट बैंक के अप्रेजल का हवाला दिया जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने रिजर्व बैंक से अपील की थी कि किंगफिशर एयर लाइंस के लोन को सब स्टैंडर्ड से स्टैंडर्ड में तब्दील किया जाए। रेक्स के बयान को सीपीएस के बैरिस्टर मार्क समर्स की तरफ से क्रास एग्जामिन किया जाना बाकी है। उधर, भारत सरकार का तर्क है कि माल्या के खिलाफ सीपीएस ने जो केस तैयार किया है वह मजबूत है और सरकार की इसमें जीत तय है।

सीपीएस अभी माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी को मुख्य मुद्दा बना रही है। मनी लांड्रिंग के जिस मामले में माल्या को अक्टूबर में दोबारा गिरफ्तार किया था, उसे सीपीएस ने फिलहाल हाशिये पर रखा हुआ है। माल्या के वकीलों ने रेक्स से पहले एविएशन (उड्डयन) मामलों के विशेषज्ञ डॉ. हमफ्रेज को मंगलवार को पेश किया था। उनका भी तर्क था कि शराब कारोबारी की मंशा सरकार व बैंक से धोखाधड़ी की नहीं थी। माल्या 2016 से ब्रिटेन में रह रहा है। प्रत्यर्पण वारंट पर उसे स्कॉटलैंड यार्ड ने अप्रैल में गिरफ्तार किया था। मामले में चल रहा ट्रायल 14 दिसंबर को पूरा होना है। दलीलें पूरी होने के बाद ही फैसले की तारीख तय होगी। अगर अदालत प्रत्यर्पण के समर्थन में फैसला देती है तो ब्रिटेन के गृह सचिव को दो माह के भीतर उसे भारत के हवाले करना होगा। हालांकि बड़ी अदालतों में अपील का रास्ता खुला होने से प्रत्यर्पण में देर होनी तय है।


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