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ऑटिज्म से पीड़ित लोग झूठ नहीं पहचान पाते, एक अध्ययन में आया सामने

ऑटिज्म यानी स्वलीनता मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 12:44 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 12:44 PM (IST)
ऑटिज्म से पीड़ित लोग झूठ नहीं पहचान पाते, एक अध्ययन में आया सामने
ऑटिज्म से पीड़ित लोग झूठ नहीं पहचान पाते, एक अध्ययन में आया सामने

लंदन [प्रेट्र]। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित लोग सच और झूठ में भेद नहीं कर पाते। इस वजह से लोग उनका फायदा उठाते हैं। इसके चलते जीवन में उन्हें कई जोखिम उठाने पड़ते हैं। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ केंट के डेविड विलियम्स के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने यह अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि एएसडी से पीड़ित लोगों की झूठ को पहचानने की क्षमता उल्लेखनीय ढंग से कम हो जाती है।

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इस संबंध में शोधकर्ताओं ने एएसडी से पीड़ित लोगों के साथ कुछ प्रयोग किए। शोधकर्ताओं ने इन प्रतिभागियों को कुछ वीडियो दिखाए। इन वीडियो में कुछ लोग झूठ बोल रहे थे, जबकि कुछ लोग सच बोल रहे थे। प्रतिभागियों को ये टास्क दिया गया कि वे उन लोगों की पहचान करें जो झूठ बोल रहे हैं। कौन व्यक्ति झूठ बोल रहा है यह पता लगाने के लिए प्रतिभागियों को कुछ संकेत भी दिए गए, लेकिन एएसडी से पीड़ित लोग झूठ बोलने वाले व्यक्ति को पकड़ नहीं पाए।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसके चलते ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें धोखे खाने पड़ते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को प्रशिक्षण देकर सिखाया जा सकता है कि सच और झूठ में कैसे अंतर किया जाए। कुछ प्रयास के बाद वे इनमें अंतर करना सीख सकते हैं।

क्या है ऑटिज्म

ऑटिज्म यानी स्वलीनता मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिंदी में इसे आत्मविमोह और स्वपरायणता भी कहते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है। जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही शुरू हो जाता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि एक हजार में छह लोग एएसडी से पीड़ित होते हैं। 


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