अमेरिकी संसद से बलूचिस्तान और सिंध को भी आजाद कराने की अपील, पाक यहां के लोगों पर ढा रहा है जुल्म
मुताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक और नेता अल्ताफ हुसैन ने अमेरिकी संसद से अपील की है कि वह बलूचिस्तान और सिंध प्रांत की भी आजादी का बिल पेश करें।
लंदन, एएनआइ। मुताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक और नेता अल्ताफ हुसैन ने अमेरिकी संसद से अपील की है कि वह बलूचिस्तान और सिंध प्रांत की भी आजादी का बिल पेश करें। पाकिस्तानी प्रांत बलूचिस्तान और सिंध के लोगों पर बरसों से जुल्म होते आ रहे हैं और वहां के लोगों के साथ मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। सोशल मीडिया पर एमक्यूएम नेता अल्ताफ हुसैन ने बयान जारी करके अमेरिकी संसद के उस फैसले का भी स्वागत किया है जिसके तहत तिब्बत को आजाद करने का विधेयक पेश किया गया है। चूंकि चीन ने तिब्बत में सालों से तिब्बतियों के मूलभूत मानवाधिकारों का हनन किया है।
अल्ताफ हुसैन ने अमेरिकी सांसदों से की चीन की तर्ज पर बिल लाने की अपील
अल्ताफ ने कहा कि यह सही समय है कि सम्मानित दलाईलामा असहाय तिब्बतियों की मदद के लिए और प्रयास करें। अमेरिकी संसद से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सभी अमेरिकी सांसद अपना कुछ निकाल कर बलूचिस्तान के बलूचों और सिंधियों के हालात पर भी ध्यान दें। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में उर्दू बोलने वाले लोगों (मुजाहिरों) को तबाह किया गया। वहां बहनों, माओं, बेटियों, बेटों, भाइयों और पिताओं को अलग-थलग करके जेल में डाल दिया गया है।
इन दोनों प्रांतों के 90 फीसद लोग चाहते हैं बलूचिस्तान और सिंधुदेश के नाम से अलग देश
पिछले 72 सालों में पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसियों ने इन प्रांतों का समूल नाश कर दिया है। यहां के लोगों का नरसंहार, अपहरण और उत्पीड़न किया है। बलूचिस्तान और सिंध प्रांत के 90 फीसद लोग अब इस सबसे तंग आकर अपना आजाद बलूचिस्तान और सिंधुदेश चाहते हैं। मुहाजिर नेता अल्ताफ हुसैन का जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था। वह 1992 में निर्वासित किए जाने के बाद से लंदन में रह रहे हैं।
आतंकवाद से जुड़े मामले पर हुसैन के खिलाफ चलने वाला है मुकदमा
गौरतलब है कि अल्ताफ हुसैन ने साल 2016 में लंदन से पाकिस्तान में एक भाषण दिया था। जिसमें आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपने अनुयायियों के लिए एक कथित घृणास्पद भाषण दिया था। इसमें उन्होंने अपने अनुयायियों से पाक के खिलाफ कानून हाथ में लेने का आह्वान किया था। आतंकवाद के अपराध से जुड़े इस मामले में बीते 10 अक्टूबर को ब्रिटेन के क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज ने उनके खिलाफ आरोप तय किए थे। उनके खिलाफ आतंकवाद से जुड़े इस मामले में जून 2020 में मुकदमा चलने वाला है। उन्होंने बीते दिनों भारत से शरण मांगी थी, लेकिन भारत ने उसका जवाब नहीं दिया था।