टाइटैनिक के मलबे के संरक्षण को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन में हुआ समझौता, 1912 में डूबा था जहाज
इस समझौते पर ब्रिटेन ने वर्ष 2003 में ही हस्ताक्षर कर दिया था लेकिन वर्ष 2019 के अंत में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो की पुष्टि के बाद यह प्रभाव में आया।
लंदन, प्रेट्र। दुर्घटनाग्रस्त जहाज टाइटैनिक के मलबे के संरक्षण के लिए अमेरिका व ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है। 107 साल पहले अपनी पहली यात्रा पर निकला यह जहाज विशाल हिमखंड से टकराकर उत्तरी अटलांटिक महासागर की गहराई में समा गया था।
अंतरराष्ट्रीय समझौता सरकारों को यह अधिकार देगा कि वे किसी को मलबे में प्रवेश या कलाकृतियों को निकालने की अनुमति दें अथवा नहीं। इसका उद्देश्य हादसे में मारे गए करीब 1,500 यात्रियों और चालक दल सदस्यों की स्मृतियों को संजोना और उनकी इज्जत करना है।
ब्रिटेन ने 2003 में किया था हस्ताक्षर
इस समझौते पर ब्रिटेन ने वर्ष 2003 में ही हस्ताक्षर कर दिया था, लेकिन वर्ष 2019 के अंत में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो की पुष्टि के बाद यह प्रभाव में आया। जहाज के मलबे को पहले संरक्षित नहीं किया जा सका था, क्योंकि जहां वह डूबा था वह अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आता है। ब्रिटेन की जहाजरानी मंत्री नुसरत गनी ने इस समझौते को महत्वपूर्ण करार दिया है।
15 अप्रैल 1912 को डूबा था जहाज
बेलफास्ट की हारलैंड एंड वोल्फ कंपनी द्वारा निर्मित यह जहाज 15 अप्रैल 1912 को डूब गया था। तब वह साउथैंप्टन से न्यूयॉर्क के बीच अपनी पहली यात्रा पर था। कहा जाता था कि टाइटैनिक कभी डूब नहीं सकता। अमेरिकी रिपोर्ट के हवाले से सीएनएन ने बताया कि जहाज पर 2,223 यात्री सवार थे, जिनमें से सिर्फ 706 ही बच पाए थे।
टाइटैनिक के जहाज के मलबे का पता वर्ष 1985 में चला था। मलबा कनाडा के न्यूफाउंडलैंड स्थित समुद्र तट से 350 नॉटिकल मील (करीब 648 किमी) दूर करीब ढाई मील गहरे समुद्र में पाया गया था। 14 वर्षो में पहली बार पिछले साल अगस्त में गोताखोर मलबे के पास पहुंचे थे। उन्होंने पाया था कि बैक्टीरिया धातु को नुकसान पहुंचा रहे हैं।