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भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका सातवीं बार हुई खारिज, अभी रहेगा सलाखों के पीछे

लंदन की वेस्टिमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में जिला जज सैमुअल गूजी ने नीरव मोदी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। जज ने कहा कि याचिका में ऐसा कोई मजबूत तथ्य पेश नहीं किया गया है जिसके आधार पर जमानत देने पर विचार किया जा सके।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 06:57 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 10:18 PM (IST)
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका सातवीं बार हुई खारिज, अभी रहेगा सलाखों के पीछे
नीरव मोदी पर पंजाब बैंक के घोटाले का आरोप है।

लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन की एक अदालत ने सोमवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका सातवीं बार खारिज कर दी। नीरव मोदी भारत में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 14 हजार करोड़ रुपये के लोन धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित है। उसे पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह लंदन की एक जेल में बंद है।

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लंदन की वेस्टिमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में जिला जज सैमुअल गूजी ने नीरव मोदी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। जज ने कहा कि याचिका में ऐसा कोई मजबूत तथ्य पेश नहीं किया गया है, जिसके आधार पर जमानत देने पर विचार किया जा सके। इसके साथ ही जज ने याचिका खारिज कर दी। इससे पहले जिला अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक में उसकी छह बार जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के प्रत्यर्पण वारंट पर नीरव मोदी को पिछले साल 19 मार्च को लंदन में गिरफ्तार किया गया था। सीबीआइ ने उसके प्रत्यर्पण के लिए अपील की है। नई दिल्ली में एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि सीबीआइ, विदेश मंत्रालय और ब्रिटेन के क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के बीच समन्वय के चलते ही नीरव मोदी की जमानत याचिका बार-बार खारिज हो रही है। इस मामले में अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी।

नीरव मोदी के वकीलों की तरफ से यह दलील दी जाती है कि भारत में मुंबई स्थित आर्थर जेल में ब्रिटेन के मानवाधिकार से जुड़े मानकों के मुताबिक सुविधाएं नहीं हैं। जबकि, भारतीय पक्ष का कहना है कि जेल में सभी सुविधाएं हैं। प्र‌र्त्यपण के बाद नीरव मोदी को आर्थर रोड जेल में ही रखा जाएगा। इस मामले में नीरव का मामा मेहुल चोकसी भी आरोपित है।

काटजू ने कहा था कि नीरव मोदी को भारत में नहीं मिलेगा न्‍याय

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में भारत सरकार की ओर से भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में साक्ष्य देने के लिए आत्म प्रचारक कहे जाने को चुनौती दी थी। पांच दिवसीय सुनवाई के अंतिम दिन न्यायमूर्ति सैमुअल गूजी ने काटजू के विस्तृत साक्ष्य को सुना था। भारत सरकार की ओर से बहस करते हुए यूके की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने काटजू के लिखित और मौखिक दावों का प्रतिरोध किया कि नीरव की भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी, क्योंकि न्यायपालिका में ज्यादातर लोग भ्रष्ट हैं। 


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