विंडरश स्कीम का फायदा उठाने वालों में 93 भारतीय, दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
यह व्यवस्था सन 1973 से पहले लागू थी और यह खासतौर पर कैरेबियाई देशों के लोगों के लिए थी। लेकिन इसका लाभ भारत समेत दक्षिण एशिया के देशों के नागरिकों ने भी उठा लिया।
लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन में रहने और काम करने के लिए आपात व्यवस्था के तहत की गई विंडरश आव्रजन व्यवस्था में हुए घोटाले में 93 भारतीयों के नाम भी सामने आए हैं। यह जानकारी ब्रिटिश सरकार ने संसद में दी है। आव्रजन मामलों की मंत्री कैरोलिन नोक्स ने कहा है कि इस तरह की गड़बड़ी को स्वीकार नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विंडरश ब्रिटिश उपनिवेश रहे देशों के नागरिकों को मिलने वाली आपात सुविधा थी जिसका लाभ उठाकर वे ब्रिटेन में आकर रह सकते थे और काम कर सकते थे। यह व्यवस्था सन 1973 से पहले लागू थी और यह खासतौर पर कैरेबियाई देशों के लोगों के लिए थी। लेकिन इसका लाभ भारत समेत दक्षिण एशिया के देशों के नागरिकों ने भी उठा लिया। गड़बड़ी से पर्दा तब हटा जब ब्रिटिश गृह मंत्रालय के सचिव साजिद जावीद ने ब्रिटिश संसद की घरेलू मामलों की समिति को बताया कि कुल 2,125 विदेशी के मूल के लोगों ने बताया है कि वे गैर समयबद्ध वीजा पर ब्रिटेन में रह रहे हैं। इनमें 93 भारतीय, जमैका के 1014, बारबडोस के 207, ग्रेनेडा के 88, त्रिनिडाड एंड टोबैगो के 85 और अन्य देशों के 638 लोग हैं। इनमें से 584 लोगों को जून 2018 में विंडरश स्कीम के तहत ब्रिटेन की नागरिकता दी जा चुकी है।
यह है विंडरश व्यवस्था
विंडरश स्कीम मूल रूप से उन लोगों के समूह के लिए शुरू की गई थी जो 1948 में विंडरश नाम के जहाज से मजदूरी कराने के लिए जमैका से ब्रिटेन लाए गए थे। उस जहाज में आए बहुत से बच्चे ब्रिटेन में रहते हुए बालिग हुए लेकिन उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिससे पता चले कि वे 1973 से पहले आए थे। सरकार 1973 के बाद आए लोगों के दस्तावेजों की जांच कर उनके वैध या अवैध प्रवासी होने का पता लगा रही है।