2017 में इस्लामिक आतंकवाद ने ली 84 हजार जानें, मारे गए लोगों में मुस्लिमों की बड़ी तादाद
2017 में इन संगठनों ने 66 देशों में 84,023 लोगों की जानें ली। हैरत की बात यह है कि मारे गए लोगों में मुस्लिमों की बड़ी तादाद है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इस्लामिक स्टेट जैसे कुछ आतंकी संगठनों को नेस्तनाबूद किए जाने के बाद भी दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद लोगों को लहूलुहान कर रहा है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज ने हाल में ग्लोबल एक्सट्रीमिज्म मॉनीटर रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि दुनिया में 121 इस्लामिक आतंकी समूह सक्रिय हैं। 2017 में इन संगठनों ने 66 देशों में 84,023 लोगों की जानें ली। हैरत की बात यह है कि मारे गए लोगों में मुस्लिमों की बड़ी तादाद है।
रिपोर्ट में चेताया गया है कि इस्लामिक आतंकवाद से निपटने में हम गलत रणनीति के चलते विफल हो रहे हैं। हमें तरीका बदलना होगा। आतंकवाद रोकने के लिए सुरक्षा मदों में हम अरबों- खरबों फूंक डालते हैं, लेकिन इस विचारधारा को बदलने के लिए बहुत थोड़ा निवेश करते हैं।
नागरिकों को बनाया निशाना
लोगों में दहशत पैदा करने के मंसूबे से 47 आतंकी समूहों ने आम नागरिकों को निशाना बनाया। बोको हराम ने 71 फीसद हमले नागरिकों को निशाना बनाकर किए। इराक और सीरिया में आइएस ने इसी मंशा के तहत 2080 लोगों को मौत के घाट उतारा। जान-बूझकर नागरिकों को निशाना बनाकर किए हमले में 6310 लोग मारे गए। इसके अलावा आतंकी और सुरक्षाकर्मियों की गोलीबारी में 15613 लोग मारे गए।
वैश्विक खतरा
2017 में 48 देशों में 7841 आतंकी हमले हुए। दुनिया के सर्वाधिक विकसित 18 देश भी इस्लामिक आतंकवाद से प्रभावित रहे। कुल सक्रिय 121 संगठनों में से 92 ने कम कम से एक देश में आतंकी हमला किया है।
10 शीर्ष प्रभावित देश
दुनिया के 64 इस्लामिक आतंकी संगठन हिंसाग्रस्त दुनिया के 10 देशों में खून-खराबा और सबसे ज्यादा तबाही मचा रहे हैं। इन देशों में अफगानिस्तान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सीरिया, यमन, मिस्र, माली, नाइजीरिया और पाकिस्तान हैं।
सुन्नी बहुल इलाके निशाने पर
नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए कुल हमलों में दो तिहाई हिस्सेदारी सुन्नी बहुल क्षेत्रों की रही।
धार्मिक कट्टरपंथी संगठन सबसे सक्रिय
धार्मिक कट्टरपंथी संगठनों के 95 फीसद हमले अल्पसंख्यक शिया बहुल इलाकों में किए गए।
महिला आतंकियों का इस्तेमाल
आतंकी संगठन अपने मंसूबों को सिरे चढ़ाने के लिए महिलाओं के इस्तेमाल में भी पीछे नहीं रहे। इससे पता चलता है कि ये कैसे अपने सिद्धांत और रणनीति में बदलाव कर रहे हैं।
फिदायीन हमले
37 आतंकी संगठनों ने फिदायीन हमले को अपना मुख्य हथियार बनाया। 21 समूहों ने 1976 लोगों को विभिन्न तरह के आरोपों (भागने, लोगों की जासूसी करने, अनुशासनहीनता बरतने) में सूली पर चढ़ा दिया।
रणनीति बदलने की दरकार
आतंक रोधी उपायों में हर साल दुनिया अरबों रुपये स्वाहा कर देती है, लेकिन स्थिति विकराल रूप लेती ही जा रही है। ऐसे में जरूरत उस विचारधारा में बदलाव लाने की है। रिपोर्ट कहती है कि शिक्षा और विकास के कामों में भारी-भरकम निवेश की जरूरत है। सुरक्षा कदम जरूरी हैं, लेकिन केवल इसी से इस्लामिक आतंक का खात्मा नहीं संभव है। इसके लिए एक वैश्विक इच्छाशक्ति की जरूरत है जो ऐसी विचारधारा को बदल सके।