China H-6K Bomber vs Russian Tu-160: भारतीय सीमा पर चीनी H-6K बाम्बर का जवाब देंगे रूसी बाम्बर Tu-160, जानें- दोनों में कौन है ज्यादा ताकतवर
भारत-चीन सीमा विवाद के बाद चीनी सेना ने भारतीय सीमा पर अपने H-6K नामक स्ट्रैटजिक बाम्बर तैनात किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत के पास इस खतरनाक बाम्बर की कोई काट है। इसके बाद ही रूसी बाम्बर Tu-160 की खबर सामने आई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। China H-6K Bomber vs Russian Tu-160: भारत-चीन सीमा विवाद के बाद चीनी सेना ने भारतीय सीमा पर अपने H-6K नामक स्ट्रैटजिक बाम्बर तैनात किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत के पास इस खतरनाक बाम्बर की कोई काट है। भारत ने अपनी सरहद पर रूसी S-400 की तैनाती कर सीमा को सुरक्षित किया है, लेकिन चीन के H-6K का कोई विकल्प भारत के पास फिलाहल नहीं है। इसके बाद ही रूसी बाम्बर Tu-160 की खबर सामने आई है। आइए जानते हैं कि क्या है चीनी बाम्बर H-6K की क्या खासियत है। भारत की बड़ी चिंता क्या है। रूसी बाम्बर और चीन बाम्बर में कौन ज्यादा ताकतवर है। आखिर भारत ने अमेरिकी बी-2 बाम्बर की जगह रूसी बाम्बर Tu-160 क्यों चुना।
चीन ने सीमा पर तैनात किया H-6K बाम्बर
1- दरअसल, पिछले साल नवंबर में चीन ने भारतीय सीमा पर H-6K नामक स्ट्रैटजिक बाम्बर तैनात किया था। इसके बाद से भारत की चिंता बढ़ गई थी। उस वक्त भारत के पास चीन के इस हथियार का कोई काट नहीं थी। अब ऐसी खबर है कि भारत चीन को जवाब देने के लिए रूस से दुनिया का सबसे घातक स्ट्रैटजिक बाम्बर खरीदने की तैयारी कर रहा है। सीमा पर चीन के लगातार आक्रामक रुख से निपटने के लिए भारत के जल्द ही रूस से दुनिया के सबसे घातक स्ट्रैटजिक आम्बर में शुमार Tu-160 खरीदने की रिपोर्ट्स हैं। Tu-160 को वाइट स्वान यानी सफेद हंस भी कहते हैं।
2- अगर ऐसा हुआ तो हाल ही में रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करने के बाद जेट बाम्बर भारत के लिए एक और महत्वपूर्ण रक्षा सौदा साबित हो सकता है। दुनिया में अब तक केवल तील देशों के पास ही बाम्बर जेट विमान है। ये तीन प्रमुख देश अमेरिका, रूस और चीन हैं। इन तीनों के पास स्ट्रैटजिक बाम्बर हैं। स्ट्रैटजिक बाम्बर ऐसे युद्धक विमान होते हैं, जो पलक झपकते ही दुश्मन के घर में जाकर बम या मिसाइल गिराकर वापस लौट आते हैं। स्ट्रैटजिक बाम्बर कहीं भी कभी हमला करने में सक्षम होते हैं। भारत के पास ऐसे बाम्बर आने से उसके लिए बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक करना आसान हो जाएगा।
चीनी बाम्बर H-6K की खासियत ( China H-6K Bomber)
चीन ने रूस की मदद से अपना बाम्बर H-6कK बनाया है। इसकी मारक क्षमता छह हजार किलोमीटर है। इस बाम्बर की ऊंचाई 34 फीट है। इसकी लंबाई 114.2 फीट है। इसका वजन 372 हजार किलो है। टेक आफ करते समय इसका वजन 95 हजार किलो हो जाता है।
यह बाम्बर 40 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। यह अपने साथ 12 हजार किलो आयुध यानी बम ले जा सकता है। यानी 12 हजार किलेग्राम तक की मिसाइल अपने साथ ले जा सकता है। ये मिसाइलें एंटी शिप या एयर टू फरफेस में मार कर सकती है। चीन के पास मौजूद बाम्बर वर्ष 2009 में रूसी सेना में शामिल था। यह 1050 किमी प्रतिघ्ंटे की रफ्तार से उड़कर दुश्मन के ठिकाने पर प्रहार कर सकता है।
रूसी टीयू-160 बाम्बर जेट ( Russia Bomber Jet TU-160)
टीयू-160 बाम्बर जेट एक हाइपरसोनिक ग्लाइड वेपन है। इसे टोपलोव टीयू-160 कहा जाता है। नाटो ने इसे ब्लैक जेक नाम दिया है। इस बाम्बर एयरक्राफ्ट का वजन 1.10 लाख किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई 43 फीट है। 177.6 फीट लंबे इसे बाम्बर जेट का विंगस्पैन 182.9 फीट हैं। विमान के टेकआफ करते समय इसका वजन 2.75 लाख किलोग्राम तक पहुंच जाता है। युद्ध के समय इसकी काम्बैट रेंज 2000 किमी होती है, जिसे सबसोनिक गति में बढ़ाकर 7300 किलोमीटर किया जा सकता है।
यह 52 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद वायु सेना को एयरस्ट्राइक करने में आसानी होगी। यह बाम्बर जेट 40,026 फीट की ऊंचाई पर अधिकतम 2220 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ान भर सकते हैं। एक बार में यह जेट 12,300 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। इस जेट को 960 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ाया जा सकता है। सीमा पर तनाव को देखते हुए भारतीय वायुसेना रूस के साथ एक बड़ा रक्षा सौदा करने की तैयारी में है।
पूर्व में भारत ने इस रक्षा सौदे के प्रति नहीं थी दिलचस्पी
एक सैन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत की रूस से कम से कम छह Tu-160 बाम्बर एयरक्राफ्ट लेने की वार्ता आखिरी दौर में है। हालांकि अभी भारत और रूस में से किसी ने भी इस डील को लेकर आधिकारिक बयान नहीं दिया है। चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव को देखते हुए भारत की इस डील को करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इससे पहले 1970 के दशक में सोवियत रक्षा मंत्री सर्जेई गोर्शाकोव के Tu-22 बैकफायर बाम्बर देने के आफर को भारतीय वायु सेना ने ठुकरा दिया था। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास स्ट्रैटजिक बाम्बर नहीं होने की एक बड़ी वजह ये भी है कि इन बाम्बर का इस्तेमाल अक्सर सीमा पार करके दुश्मन के घर में घुसकर करना पड़ता है। भारत की ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रही है, लेकिन चीन की सीमा पर आक्रामक हरकतों के बाद भारत ने इन रूसी बाम्बरों में अपनी दिलचस्पी दिखाई है।