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भारत भी आएगा कोविड-19 वैक्‍सीन स्‍पूतनिक V जानें क्‍या है इसके डोज की कीमत

वैश्‍विक बाजार में कोविड-19 वैक्‍सीन स्‍पूतनिक V की सप्‍लाई और इसकी कीमत का आज खुलासा हुआ है। वैक्‍सीन के ट्विटर हैंडल के जरिए इसकी पूरी जानकारी दी गई है। यह वैक्‍सीन भारत व ब्राजील समेत कई देशों में उपलब्‍ध कराया जाएगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 04:38 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 04:38 PM (IST)
भारत भी आएगा कोविड-19 वैक्‍सीन स्‍पूतनिक V  जानें क्‍या है इसके डोज की कीमत
20 डॉलर में स्‍पूतनिक 5 के दो शॉट

मॉस्‍को, रायटर्स। कोविड-19 से जूझ रही दुनिया में अब वैक्‍सीन के रेस में तेजी आ गई है। अगस्‍त में विकसित रूस की वैक्‍सीन स्‍पूतनिक V के ट्विटर हैंडल पर मंगलवार को वैश्‍विक बाजार में इसकी सप्‍लाई और कीमत के बारे में जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि वैक्‍सीन की सप्‍लाई भारत, ब्राजील, चीन, दक्षिण कोरिया और अन्‍य देशों में की जाएगी। रूसी वैक्‍सीन स्‍पूतिनक V  के दो शॉट की कीमत प्रति व्‍यक्‍ति 20 डॉलर यानि करीब 1500 रुपये होगी साथ ही यह देश की जनता के लिए मुफ्त में उपलब्‍ध होगा। यह भी बता दें कि जिन ग्राहकों ने रूस की इस वैक्सीन के लिए आवेदन किया है उन्हें वैक्‍सीन का पहला बैच मार्च 2021 तक मिल जाएगा।

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रूस अपने वैक्‍सीन की कीमत दूसरे वैक्‍सीन की तुलना में कम रखेगा। अगले साल देश व विदेशों में इस वैक्‍सीन के 1 बिलियन से अधिक डोज के उत्‍पादन का लक्ष्‍य है। यह जानकारी रूस के वेल्‍थ फंड ने मंगलवार को दी। वेल्‍थ फंड के प्रमुख किरिल दमित्रीएव (Kirill Dmitriev) ने बताया कि बराबर क्षमता के बावजूद हमारे वैक्‍सीन की कीमत दूसरे वैक्‍सीन की तुलना में कम होगी। 

उल्‍लेखनीय है कि  कोविड-19 वैक्‍सीन को विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश रूस है। इसके लिए पश्‍चिम के कई वैज्ञानिकों ने मॉस्‍को की आलोचना भी की है।  इनका कहना है कि वैक्‍सीन के रेस में पहले आने के लिए रूस ने वैक्‍सीन विकसित करने में कई चीजों को छोड़ दिया। कीमतों में कमी के जरिए मार्केट में अपने प्रतियोगी को रूस मात दे सकता है। 

बता दें कि रूस ने अपने वैक्‍सीन के लिए दावा किया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक V 95 फीसद प्रभावी है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य संचालित गामलेया अनुसंधान केंद्र और रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने एक बयान में कहा, ये गणना 42 दिनों के बाद प्राप्त प्रारंभिक आंकड़ों पर आधारित थी।


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