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भ्रष्टाचार का पता लगाने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया तंत्रिका मॉडल

रूस और स्पेन के वैज्ञानिकों को खास मॉडल विकसित करने में मिली सफलता

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 01:30 PM (IST)
भ्रष्टाचार का पता लगाने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया तंत्रिका मॉडल
भ्रष्टाचार का पता लगाने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया तंत्रिका मॉडल

मॉस्को (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा न्यूरल (तंत्रिका) नेटवर्क विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है, जिसकी मदद से आर्थिक और राजनीतिक कारकों के आधार पर सार्वजनिक भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी की जा सकेगी। रूस की नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी और स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वैलडोलिड के शोधकर्ताओं ने इस मॉडल के लिए सेल्फ आर्गेनाइजिंग मैप्स (एसओएमएस) नाम के एक न्यूरल नेटवर्क एप्रोच का प्रयोग किया है। इसके जरिए अलग-अलग समय में भ्रष्टाचार के मामलों का अध्ययन कर उसके आधार पर भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी की जा सकती है।

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मस्तिष्क के कार्यों की करता है नकल 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, एसओएसएस वास्तव में एक तरह का आर्टिफीशियल न्यूरल नेटवर्क (कृत्रिम तंत्रिका तंत्र) है, जो मस्तिष्क के कार्यों की नकल करता है। एसओएमएस में विस्तृत डाटा से ऐसे पैटन्र्स विकसित करने की क्षमता है, जिसके जरिए अंतर्निहित संबंधों को आसानी से समझा जा सकता है। इसके जरिए सरल ज्यामितीय संबंधों में उच्च आयामी डाटा के बीच गैर रैखिक संबंधों को परिवर्तित किया जा सकता है। यानी यह मानव मस्तिष्क की प्रणाली पर कार्य करता है। एसओएमएस का यह गुण उसे उपयोगी टूल बनाता है ताकि पैटन्र्स और प्राप्त दृश्यों में संबंध को देखकर डाटा तैयार किया जा सके।

कई कार्य करने में है सक्षम 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, एसओएमएस बहुत से कार्य करने में सक्षम है। भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी करना उसी में से एक है। इसका यह कार्य इसे एक शक्तिशाली टूल बनाता है।

कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण 

नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी के फेलिक्स जे लोपेज-इटुरिगा के मुताबिक, हमारे द्वारा विकसित यह मॉडल कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। पहला, यह पुराने अध्ययनों के आधार पर भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी कर सकता है। दूसरा, चूंकि यह डाटा वितरण के बारे में कोई धारणा नहीं बनाता है इसलिए इस न्यूरल नेटवर्क का प्रयोग एक विशेष रूप से उपयुक्त विधि के रूप में कर सकते हैं।

ऐसे काम करता है मॉडल

सोशल इंडीकेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि किस प्रकार से आर्थिक कारकों के आधार पर भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी की जा सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अचल संपत्ति का कराधान, आर्थिक विकास, घर की कीमतों में वृद्धि और गैर वित्तीय कंपनियों व जमा संस्थानों की बढ़ती संख्या सार्वजनिक भ्रष्टाचार को प्रेरित करती है। 

वहीं, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि कुछ सत्ताधारी पार्टियों के लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण सार्वजनिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा हर क्षेत्र की विशेषताएं भिन्न-भिन्न होती हैं। जब एक निश्चित काल जैसे कि तीन वर्ष तक उपरोक्त चीजों का अध्ययन किया जाए और उसका डाटा इस मॉडल में दर्ज किया जाए तो यह प्रणाली उपरोक्त मुख्य बिंदुओं में अपने अनुसार समय के अनुरूप परिवर्तन करके बता सकती है कि क्या कोई भ्रष्टाचार हुआ है या नहीं या होने की आशंका है या नहीं।

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