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व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति पद के लिए फिर से दावेदारी की संभावना से नहीं किया इन्कार

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यदि संवैधानिक संशोधनों को अपनाया जाता है तो वे एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की संभावना से इन्कार नहीं करते हैं।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 08:35 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 08:35 AM (IST)
व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति पद के लिए फिर से दावेदारी की संभावना से नहीं किया इन्कार
व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति पद के लिए फिर से दावेदारी की संभावना से नहीं किया इन्कार

मास्को, आइएएनएस/रायटर्स। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यदि संवैधानिक संशोधनों को अपनाया जाता है तो वे एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की संभावना से इन्कार नहीं करते हैं। पुतिन ने रविवार को प्रसारित एक टीवी इंटरव्यू में बताया, ' मैंने अभी तक अपने लिए कुछ तय नहीं किया है। मैं इस की संभावना को बाहर नहीं करता। यदि संविधान अवसर की अनुमति देता है, तो हम देखेंगे। काम करना आवश्यक है, उत्तराधिकारियों की तलाश करना नहीं।'

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गौरतलब है कि रूस में 1 जुलाई को संवैधानिक संशोधनों के लिए एक जनमत संग्रह आयोजित होना है। इसके पारित होने पर पुतिन 2024 की राष्ट्रपति पद की दौड़ में भाग लेने में सक्षम होंगे। समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार अगर ये संशोधन हो जाता है तो पुतिन दो बार और छह साल के कार्यकाल के लिए राषट्रपति बन सकते हैं। उनका वर्तमान कार्यकाल 2024 में खत्म होगा। 67 साल के पुतिन दो दशकों से सत्ता में हैं। इस दौरान वह राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं। पहले यह मतदान 22 मई को होना था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। 

सामाजिक नीति और सार्वजनिक प्रशासन में सुधार करने की आवश्यकता

विरोधियों का कहना है कि सुधारों को पुतिन को 2036 तक सत्ता में बनाए रखने और संवैधानिक तख्तापलट करने की अनुमति देने के लिए तैयार किया गया है। क्रेमलिन का कहना है कि उन्हें संसद की भूमिका को मजबूत करने और सामाजिक नीति और सार्वजनिक प्रशासन में सुधार करने की आवश्यकता है।

वोटिंग में व्यापक रूप से बदलावों को मंजूरी मिलने की उम्मीद

संसद और संवैधानिक न्यायालय से पहले ही यह संवैधानिक बदलाव को अनुमति मिल चुकी है। रूस के लोग अगर बदलाव के पक्ष में वोट करते हैं, तो पुतिन का राष्ट्रपति कार्यकाल शून्य हो जाएगा। वह वर्तमान में संवैधानिक सीमाओं के तहत फिर से राष्ट्रपति नहीं बन सकते। वोटिंग में व्यापक रूप से बदलावों को मंजूरी मिलने की उम्मीद है।


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