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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में आई दरार, नासा और बोइंग की मदद से पता लगा रहा है रूस

अमेरिकी नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के इंजीनियर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आइएसएस) में दरार और हवा लीक के संभावित कारणों की जांच में रूस की मदद कर रहे हैं। तीस साल पहले जारया और जवेजडा माड्यूल के भीतर वेल्डिंग चूक के कारण आइएसएस पर हवा लीक हो रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 08:52 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 08:52 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में आई दरार, नासा और बोइंग की मदद से पता लगा रहा है रूस
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आइएसएस) में दरार और हवा लीक

 मास्को, एएनआइ। अमेरिकी नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के इंजीनियर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आइएसएस) में दरार और हवा लीक होने के संभावित कारणों की जांच में रूस की मदद कर रहे हैं। नासा एयरोस्पेस सुरक्षा सलाहकार पैनल के सदस्य पाल हिल ने रविवार को पैनल की बैठक में कहा कि ल्यंडन बी. जान्सन स्पेस सेंटर, लैंग्लेय रिसर्च सेंटर और बोइंग कंपनी मुद्दे को देख रहे हैं।

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वेल्डिंग चूक के कारण हो रही आइएसएस पर हवा लीक

रूस के राकेट एवं अंतरिक्ष कारपोरेशन एनर्जिया के अुनसार, करीब तीस साल पहले जारया और जवेजडा माड्यूल के भीतर वेल्डिंग चूक के कारण आइएसएस पर हवा लीक हो रही है। एनर्जिया के फ‌र्स्ट डिप्टी जनरल डिजाइनर व्लादिमीर सोलोविएव ने पिछले महीने के आखिर में कहा था कि रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को आइएसएस के पुराने माड्यूल में दरार मिली थी।

बढ़ सकती है दरार

उन्होंने चेतावनी दी थी कि जवेजडा माड्यूल में दरार मिलने का अर्थ है जारया में दरार और बढ़ सकती है। आइएसएस में हवा लीक होने का पता सितंबर 2019 में चला था। क्रू ने उस समय उसकी पहचान की और दो दरारों को भर दिया था, लेकिन हवा का लीक होना जारी रहा।

कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम

आइएसएस अब तक बनाया गया सबसे बड़ा मानव निर्मित उपग्रह है। आइएसएस कार्यक्रम विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है। इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (आरकेए), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (सीएसए) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) काम कर रही हैं। इनके अतिरिक्त ब्राजीलियन स्पेस एजेंसी (एईबी) भी कुछ अनुबंधों के साथ नासा के साथ कार्यरत है।

इसी तरह इटालियन स्पेस एजेंसी (एएसआई) भी कुछ अलग अनुबंधों के साथ कार्यरत है। 15 देशों की मदद से अब तक 19 बार सैटलाइट भेजकर यहां सुविधाएं जुटाई गईं हैं। इसको लॉन्‍च करने में 120 बिलियन डॉलर का खर्च आया था। 4.20 लाख किलो के वजन वाला यह स्‍पेस स्‍टेशन 90 मिनट में 28 हजार किमी की रफ्तार से पृथ्‍वी का चक्‍कर लगाता है। इसे धरती से 400 किमी ऊपर स्‍थापित किया गया है।


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