रूस ने तैनात की विश्व की अजेय एवनगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल, जानें, लक्ष्य पर कैसे साधेगी निशाना
रूस ने चांद पर भेजे जाने वाले भारत के पहले मानवयुक्त यान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष प्रशिक्षण देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
मॉस्को, एएफपी। रूस ने पहली सुपरसोनिक मिसाइल एवनगार्ड की तैनाती कर दी है। एवनगार्ड को तैनात किए जाने की जानकारी रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगू ने खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दी है। सरकारी बयान में यह जानकारी दी गई है।
यह मिसाइल 33 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्य पर साधेगी निशाना
रूसी अधिकारियों ने बताया कि हवा में ही इस मिसाइल की दिशा में बदलाव किया जा सकता है। परीक्षण के दौरान इसने मैक 27 की गति पकड़ी थी, जो लगभग 33,000 किलोमीटर प्रति घंटे के बराबर है। बता दें कि मैक 1 आवाज की गति मापने की इकाई है। इस मिसाइल को अजेय माना जाता है। अभी तक विकसित किए गए किसी रडार की पकड़ में यह मिसाइल नहीं आएगी।
एवनगार्ड हाइपसोनिक मिसाइल तैनात
रूसी समाचार एजेंसियों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 27 दिसंबर को सुबह 10 बजे एवनगार्ड हाइपसोनिक मिसाइल के पहले रेजिमेंट को तैनात किया गया। रूसी अधिकारियों के मुताबिक इस रेजिमेंट को उरल्स के ओरेनबर्ग क्षेत्र स्थित सैन्य अड्डे पर तैनात किया गया है।
रूस ने दिखाई थीं अमेरिकी हथियार निरीक्षकों को एवनगार्ड मिसाइलें
रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पर तत्काल किसी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। इससे पहले रूस ने कहा था कि उसने नवंबर में अमेरिकी हथियार निरीक्षकों को एवनगार्ड मिसाइलें दिखाई थी।
रूस ऐसे हथियार विकसित करने में लगा जो अजेय हों
बता दें कि पुतिन ने पिछले साल राष्ट्र को संबोधित करते हुए इस मिसाइल की तस्वीर जारी की थी। उन्होंने कहा था कि यह मौजूदा सभी मिसाइल रक्षा प्रणालियों को मात दे देगी। रूस ऐसे हथियार विकसित करने में लगा है, जो अजेय हों और जिन्हें कोई देश पकड़ नहीं पाए। इसमें सरमाट इंटरकांटिनेंटल मिसाइल और बर्वेस्तनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल हैं।
भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष प्रशिक्षण देने के वादे पर रूस कायम
रूस ने चांद पर भेजे जाने वाले भारत के पहले मानवयुक्त यान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष प्रशिक्षण देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यहां रूसी गणराज्य के महावाणिज्य दूतावास में कौंसल जनरल ओ. अवदीव ने कहा, 'मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम के लिए रूसी अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन (रोसकॉस्मॉस) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच उत्कृष्ट सहयोग है।'
पुतिन और मोदी के बीच भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने पर बनी थी सहमति
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सितंबर में व्लादिवोस्टोक में हुए शिखर सम्मेलन में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष के वातावरण के अनुकूल विशेष प्रशिक्षण देने पर सहमति बनी थी, ताकि भारतीय अंतरिक्ष यात्री जल्द से जल्द भारहीनता जैसी समस्याओं को अपनाने में सक्षम हो जाएं। इसरो ने गगनयान कार्यक्रम के तहत दिंसबर, 2022 तक पहला मानवरहित विमान अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य रखा है।