कोरोना महामारी के बीच रूस में 24 जून को होगी विजय परेड, ट्रिब्यून से राष्ट्रपति पुतिन करेंगे निगरानी
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते निश्चित रूप से राष्ट्रपति अन्य देशों के आए राष्ट्राध्यक्षों के साथ ट्रिब्यून में परेड देख सकेंगे।
मास्को, एजेंसी। क्रेमलिन ने यह संकेत दिया है कि रूस में 9 मई को होने वाली विजय दिवस परेड अब 24 जून को होगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन विदेशी मेहमानों के साथ ट्रिब्यून रेड स्क्वायर पर विजय परेड की निगरानी करेंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते निश्चित रूप से राष्ट्रपति अन्य देशों के आए राष्ट्राध्यक्षों के साथ ट्रिब्यून में परेड देख सकेंगे। TASS न्यूज एजेंसी ने रविवार को पेस्कोव के हवाले से कहा है कि इसमें कोई संदेश नहीं है कि इस मौके पर कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष शिरकत करेंगे। एजेंसी ने कहा कि लॉकडाउन के सवाल पर पेसकोव ने कहा तब तक यह अतीत का विषय बन चुका होगा। 26 मई को पुतिन ने रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू के साथ एक बैठक में कहा था कि परेड 24 जून को आयोजित किया जाएगा। पुतिन ने बताया कि उन्होंने 24 जून, 1945 को आयोजित की गई पौराणिक, ऐतिहासिक परेड की तारीख को चुना था।
कोरोना के कारण संवैधानिक संशोधनों को लगा झटका
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को राष्ट्रपति पुतिन ने कोरोना महामारी को देखते हुए 9 मई को होने वाली विजय दिवस परेड की तैयारियों को स्थगित कर दिया था। रूसी राष्ट्रपति ने तर्क दिया था कि कोरोना महामारी के चलते परेड की तैयारियों में बाधा उत्पन्न होगी। पुतिन ने कहा कि 28 अप्रैल को पुतिन ने कहा कि 9 मई को एक हवाई सैन्य परेड आयोजित की जाएगी। उस वक्त पुतिन ने कहा था कि इस साल के अंत में विजय परेड होगी। हालांकि, उस वक्त किसी तारीख का निर्धारण नहीं किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विजय दिवस परेड में शामिल होने का था न्यौता
पुतिन ने पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन कोरोना के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस दौरा भी टल गया था। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पैदा हुए अप्रत्याशित हालात ने रूस में संवैधानिक संशोधनों को अंतिम रूप देने के लिए 22 अप्रैल को होने वाले जनमत संग्रह को टाल दिया गया था। इसके कारण रूस के पुतिन के राजनीतिक एजेंडे को बड़ा झटका लगा था। इस संवैधानिक संशोधन से पुतिन को 2036 तक सत्ता में रहने की अनुमति देंगे