Move to Jagran APP

जानिए दुनिया के किस देश में दी जाती है सबसे अधिक फांसी की सजा, किन वजहों से फिर चर्चा में वो देश

दुनिया के कई देशों में सजा के लिए कानून सख्त है। वहां कानून का उल्लंघन करने और उसमें दोषी पाए जाने के सबूत मिल जाने पर सीधे फांसी की सजा मुकर्रर कर दी जाती है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 05:36 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 05:36 PM (IST)
जानिए दुनिया के किस देश में दी जाती है सबसे अधिक फांसी की सजा, किन वजहों से फिर चर्चा में वो देश
जानिए दुनिया के किस देश में दी जाती है सबसे अधिक फांसी की सजा, किन वजहों से फिर चर्चा में वो देश

नई दिल्ली, एएफपी/रॉयटर्स। दुनिया के कई देशों में सजा के लिए कानून सख्त है। वहां कानून का उल्लंघन करने और उसमें दोषी पाए जाने के सबूत मिल जाने पर सीधे फांसी की सजा मुकर्रर कर दी जाती है। कई बार बेगुनाह भी इसका शिकार होते हैं। चीन के बाद ईरान दुनिया में दूसरा ऐसा सबसे बड़ा देश है जहां पर फांसी की सजा दी जाती है। संस्था एमनेस्टी के मुताबिक ईरान में बीते साल 2019 में 251 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। 

loksabha election banner

दुनियाभर में सिर्फ 53 ऐसे देश हैं, जहां किसी अपराध के लिए मौत की सजा दी जाती है। भारत भी इन 53 देशों में शामिल है। दुनिया के 142 देशों ने किसी भी तरीके से मौत की सजा का प्रावधान खत्म कर दिया है। हाल में जिन देशों ने अपने यहां मौत की सजा का प्रावधान खत्म किया, उनमें मडागास्कर, बेनिन, गिनीया और बुर्किना फासो शामिल हैं।

दरअसल इस बार ईरान ने किसी लूटेरे या अन्य जघन्य अपराध करने वाले अपराधी को फांसी की सजा नहीं दी बल्कि एक पहलवान को ये सजा दे दी जिससे पूरी दुनिया और खेल जगत में रोष है। जर्मनी में खिलाड़ियों की संस्था ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इसके अलावा 85 हजार खिलाड़ियों ने पहले ही ईरान से पहलवान को फांसी की सजा न देने के लिए कहा था मगर उस पर कोई असर नहीं हुआ।

क्या था पूरा मामला 

27 साल के नवीद अफकारी को साल 2018 में गिरफ्तार किया गया था। ईरानी अधिकारियों का कहना था कि 2018 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अफकारी ने एक सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी थी। ये प्रदर्शन बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और असमानता के खिलाफ हुए थे। अफकारी को ईरानी शहर शिराज में शनिवार को अदेल अबाद जेल में फांसी पर चढ़ाया गया। कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें शनिवार रात को दफना दिया गया, उनके माता पिता को अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने की अनुमति भी नहीं दी गई। 

अधिकारियों का कहना है कि अफकारी ने अपना जुर्म कबूल किया था लेकिन पहलवान, उनके परिवार और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इकबालिया बयान उन्हें यातना देकर लिया गया था। उनका कहना है कि अफकारी को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह एक जाने माने खिलाड़ी थे और उन्होंने ईरानी सरकार की आलोचना करने की हिम्मत की थी। अफकारी के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल के दोषी होने का कोई सबूत नहीं है।

दुनिया भर में हो रही फांसी की निंदा 

अफकारी को फांसी दिए जाने की दुनिया भर में निंदा हो रही है। यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि यूरोपीय संघ सभी परिस्थितियों में मौत की सजा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ईरान के साथ हमारे संवाद में मानवाधिकार सबसे अहम विषय है, हम इस मुद्दे पर ईरानी अधिकारियों से बात करते रहेंगे। यूरोपीय संघ के विपरीत अमेरिका में संघीय और कई जगह राज्यों के स्तर पर मौत की सजा का प्रावधान है लेकिन अफकारी को फांसी दिए जाने की अमेरिका ने भी निंदा की है। 

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इसे मानव गरिमा पर एक आक्रामक हमला बताया है। ईरान और अमेरिका के बीच दशकों से तनातनी चल रही है। ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी की इराक में अमेरिकी कार्रवाई में मौत के बाद तनाव नए स्तर पर पहुंच गया। अब ईरान अमेरिका पर हमले के लिए कहता रहता है।

इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान को चुनौती देते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान अमेरिका के खिलाफ हमला करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अमेरिका के खिलाफ जैसा भी हमला ईरान करेगा, जवाब में उसे 100 गुना बड़ा हमला झेलने के लिए तैयार रहना होगा।

जर्मन राजदूत को बुलाया 

सोशल मीडिया पर अफकारी को फांसी दिए जाने की आलोचना करने पर तेहरान में जर्मन राजदूत हांस ऊडो मुसेल को ईरानी विदेश मंत्रालय में तलब किया गया है। ईरान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालय में अधिकारी अली बगेरी ने कहा कि विदेशी दूतावासों को ईरानी विपक्षी समूहों का मुख पत्र नहीं बनना चाहिए और राजनयिक नियमों का पूरी तरह पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी दबाव से ना तो ईरान की न्याय व्यवस्था कमजोर होगी और ना ही इस्लामी कानून, जिनके मुताबिक ईरान चलता है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.