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जानें- पौलेंड और बेलारूस में क्‍यों बढ़ रहा है तनाव, किस पर है इसके मास्‍टरमाइंड होने का आरोप

पौलेंड और बेलारूस में बीते कुछ समय से तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पोलैंड के प्रधानमंत्री ने खुले शब्दों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस संकट का मास्टरमाइंड बताया है। बता दें कि बेलारूस रूस के लिए खासी अहमियत रखता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 12:41 PM (IST)
जानें- पौलेंड और बेलारूस में क्‍यों बढ़ रहा है तनाव, किस पर है इसके मास्‍टरमाइंड होने का आरोप
बेलारूस और पौलेंड की सीमा पर हालात हो रहे खराब

मास्‍को (एपी)। पोलैंड और बेलारूस के बीच का तनाव चर्चा में है। हजारों प्रवासी पोलैंड में प्रवेश के लिए बेलारूस के बार्डर पर जुटे हैं। बेलारूस को रूस का समर्थन है जबकि अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश पोलैंड के पक्ष में हैं। असल में यह यूरोप में दबदबे की लड़ाई बन गई है। बेलारूस की भौगोलिक स्थित को देखते हुए रूस के लिए यह अहम है। कहीं न कहीं यूरोपीय देशों पर दबाव के लिए भी रूस इसे शह देता रहा है।

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अगस्त, 2020 में अलेक्जेंडर लुकाशेंकों छठी बार बेलारूस के राष्ट्रपति बने थे। वह अपने आप को यूरोप का आखिरी तानाशाह कहते हैं। उनके चयन के लिए हुए चुनावों को वहां के विपक्षी दलों, अमेरिका व पश्चिमी देशों ने फर्जी करार दिया था। बेलारूस में सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को बलपूर्वक कुचल दिया गया था। इसमें 35 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इन कदमों से नाराज यूरोपीय संघ और अमेरिका ने बेलारूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। इन प्रतिबंधों के बाद से ही बेलारूस यूरोपीय संघ को निशाना बनाने की कोशिश में है।

प्रतिबंधों से बौखलाए बेलारूस ने यूरोपीय देशों पर निशाना साधने का नया तरीका खोजा। लुकाशेंको ने सीरिया, इराक और अन्य अशांत देशों से हजारों प्रवासियों को लाकर पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया से लगती सीमाओं पर पहुंचा दिया। बेलारूस में कई पर्यटन एजेंसियों ने इन प्रवासियों के लिए वीजा का भी इंतजाम किया। यूरोपीय संघ ने इसे बेलारूस की तरफ से हाइब्रिड वार की संज्ञा दी है। अचानक से प्रवासियों की संख्या संकट का कारण बन रही है। ज्यादातर प्रवासियों के लिए पोलैंड जर्मनी व अन्य यूरोपीय देशों में जाने का रास्ता है।

पोलैंड के प्रधानमंत्री ने खुले शब्दों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस संकट का मास्टरमाइंड बताया है। जानकार मानते हैं कि यूरोप में दबदबा बनाने और नाटो को परेशान करने के लिए प्रवासी संकट में पुतिन बेलारूस का साथ दे रहे हैं। वहीं पश्चिमी देश रूस की महत्वाकांक्षाओं पर लगाम के लिए पोलैंड का साथ दे रहे हैं।

फिलहाल बेलारूस के सीमाई इलाकों में हजारों प्रवासी पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया में प्रवेश को तैयार हैं। इन देशों ने प्रवासियों को रोकने के लिए कंटीली तारों की बाड़ लगाई है। बताया जा रहा है कि बेलारूस प्रवासियों को तार काटने के लिए जरूरी औजार भी उपलब्ध करा रहा है, जिससे वे जबरन प्रवेश कर सकें। यूरोपीय संघ के देशों ने सीमा पर सेनाएं भी तैनात कर रखी हैं। हाल में लुकाशेंको ने यह धमकी भी दी थी वह रूस से यूरोप में जाने वाली गैस पाइपलाइन को रोक देंगे। उन्होंने रूस से परमाणु हथियार भी मांगा है।

इस साल मई में ग्रीस से लिथुआनिया जा रहे विमान को बेलारूस ने अपनी राजधानी मिंस्क में उतरवा लिया था। इस विमान में लुकाशेंको का विरोध करने वाले पत्रकार रोमन प्रोतासेविच सफर कर रहे थे। बेलारूस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। नागरिक विमान को सैन्य विमान भेजकर बीच रास्ते में उतरवा लेने की हरकत की पश्चिमी देशों ने जमकर आलोचना की। यूरोपीय संघ ने इसे हवाई लुटेरों की कार्रवाई बताकर वहां बेलारूस से अपनी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया, साथ ही कई तरह के निर्यात बंद कर दिए। 


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