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परमाणु समझौते पर ईरान और रूस के बीच होगी अहम वार्ता, विदेश मंत्री जरीफ मास्‍को रवाना

यह वार्ता इस लिहाज से अहम मानी जा रही है क्‍यों कि वाशिंगटन ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के हथियारों का विस्तार करने की मांग कर रहा है जो अक्टूबर के मध्य में समाप्त होने वाली है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 05:22 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 05:22 PM (IST)
परमाणु समझौते पर ईरान और रूस के बीच होगी अहम वार्ता, विदेश मंत्री जरीफ मास्‍को रवाना
परमाणु समझौते पर ईरान और रूस के बीच होगी अहम वार्ता, विदेश मंत्री जरीफ मास्‍को रवाना

मास्‍को, एजेंसी। ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ और शीर्ष रूसी राजनयिक सर्गेई लावरोव के बीच 2015 के परमाणु समझौते पर विस्‍तार से चर्चा की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सीरिया के मौजूदा संकट पर भी वार्ता हुई। यह वार्ता इस लिहाज से अहम मानी जा रही है क्‍यों कि वाशिंगटन ईरान  पर संयुक्त राष्ट्र के हथियारों का विस्तार करने की मांग कर रहा है, जो अक्टूबर के मध्य में समाप्त होने वाली है। हालांकि, रूस और चीन ने अमेरिका की इस मांग का विरोध किया है। आधिकारिक आईआरएनए समाचार एजेंसी ने बताया कि मास्‍को यात्रा के दौरान जरीफ और राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री अब्बास अर्घची उनके के साथ हैं।

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सात माह पूर्व यूरोपीय देशों ने किया था आगाह 

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं ने रविवार को ईरान से अपील की कि वह 2015 परमाणु समझौते का उल्लंघन न करे। तेहरान के संवर्धन की सीमा का पालन नहीं करने की घोषणा करने के बाद इन देशों के प्रमुख नेताओं ने यह अपील की। जर्मनी की चांसलर आंगेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक संयुक्त बयान जारी किया था। संयुक्त बयान में कहा गया कि हम ईरान से उन सभी कदमों को वापस लेने की अपील करते हैं, जो परमाणु समझौते के अनुरूप नहीं है। 

ईरान ने भी सख्त कदम का ऐलान किया 

उधर, ईरान के साथ हुए बहुपक्षीय समझौते से अमेरिका के पीछे हटने और उस पर फिर से प्रतिबंध लगाने के जवाब में ईरान ने भी सख्त कदम का ऐलान किया था। ईरान ने परमाणु समझौते से पीछे हटने से संबंधित अपने पांचवें कदम को अंतिम रूप देने की घोषणा की थी। इस बार भी ईरान ने कहा कि यदि इस समझौते से अमेरिका पीछे हटा तो इसके घातक परिणाम होंगे।

क्‍या है 2015 का परमाणु समझौता 

  • ईरान के दो स्‍थलों पर - नाटांज और फोर्डो में यूरेनियम का संवर्धन का कार्य होता है। इसका उपयोग परमाणु ऊर्जा के लिए किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग परमाणु हथियारों को विकसित करने के लिए भी किया जा सकता है। 
  • जुलाई, 2015 में ईरान के पास 20 हजार ऐसे केंद्र थे, जहां यूरेनियम के रासायनिक कणों को पृथक किया जाता था। ज्वाइंट एंड कम्प्लीट एक्शन प्लान के तहत इसकी संख्या 5,060 तक सीमित करने को कही गई थी। इस समझौते के तहत ईरान ने वादा किया था कि वो अपने यूरेनियम का भंडार 98 फीसद तक घटाकर 300 किग्रा तक कर देगा। 
  • जनवरी 2016 में ईरान ने यूरेनियम केंद्रों की संख्या को सीमित किया और सैंकड़ों किलोग्राम यूरेनियम रूस को भेज दिया गया। समझौते के तहत शोध और विकास के कार्यक्रम सिर्फ नाटांज में अधिकतम आठ सालों तक किया जा सकेगा। वहीं, फोर्डो में अगले 15 सालों तक इस पर रोक लगाने की बात कही गई है। 

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