इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान में महिला पत्रकारों और कमंटेटर ने सरकारी अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ उकसाने वाले ऑनलाइन हमलों को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के एक ट्वीट में कहा गया है कि महिला पत्रकारों का कहना है कि वेर सक्रिय रूप से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। ऐसा पत्रकारिता में सार्वजनिक विश्वास को कम करती हैं। मानवाधिकार आयोग द्वारा किया गया ट्वीट एक पत्रकार के ट्वीट के जवाब में था जिसमें 20 से अधिक महिला पत्रकारों द्वारा संयुक्त बयान जारी किया था।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि इन हमलों का लक्ष्य अलग-अलग दृष्टिकोण वाली महिलाएं हैं और जिनकी रिपोर्ट पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार के लिए महत्वपूर्ण रही है, और सबसे अधिक विशेष रूप से कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए।
सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाले खतरनाक हमलों को पाकिस्तान में महिला पत्रकारों और कमंटेटर पर निर्देशित किया जा रहा है, जिससे हमारे लिए अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। बयान में जोर देकर कहा गया है कि ऑनलाइन हमला सरकारी अधिकारियों द्वारा उकसाए जाते हैं।
निश्चित रूप से एक अच्छी तरह से परिभाषित और अभियान में, महिला पत्रकारों और विश्लेषकों के व्यक्तिगत विवरण को सार्वजनिक किया गया है। आगे कहा गया है कि हमें डराने, फर्जी समाचार,लोगों का दुश्मन" के रूप में पेश किया जाता है और रिश्वत लेने का आरोप लगाया जाता है।
बयान के हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि कुछ उदाहरणों में उनके चित्रों और वीडियो को मॉर्फ किया गया है। मीडिया में महिलाओं को न केवल उनके काम के लिए बल्कि उन्हें लिंग के लिए भी निशाना बनाया जाता है।
बयान में कहा गया है, इनमें हिंसा भड़काने और घृणा अपराधों को बढ़ावा देने की क्षमता है, जिससे हमारी शारीरिक सुरक्षा खतरे में है।
पत्रकारों ने रेखांकित किया कि मीडिया में महिलाओं, विशेषकर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर, इन प्लेटफार्मों पर बने रहना और स्वतंत्र रूप से जुड़ना मुश्किल हो रहा है। कई अब जानकारी साझा करने से बचते हैं, अपनी राय देते हैं या ऑनलाइन में सक्रिय नहीं होते।
शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप