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जानिए- अचानक अफगानिस्‍तान को लेकर फिर क्‍यों सुर्खियों में आई पाकिस्‍तान की लाल मस्जिद

पाकिस्‍तान के इस्‍लामाबाद स्थित लाल मस्जिद के पूर्व मौलाना अब्‍दुल अजीज का कहना है कि उनके यहांं के फिदायीन आतंकियों ने तालिबान का भरपूर साथ दिया है। उनकी बदौलत तालिबान अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा पाने में कामयाब रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 11:17 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 11:17 AM (IST)
जानिए- अचानक अफगानिस्‍तान को लेकर फिर क्‍यों सुर्खियों में आई पाकिस्‍तान की लाल मस्जिद
पाकिस्‍तान की सबसे पुरानी मस्जिद है लाल मस्जिद

काबुल, एजेंसी। पूरी दुनिया इस बात को जानती है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान की राह को आसान बनाने का काम पाकिस्‍तान ने किया है। तालिबान आतंकियों को ट्रेनिंग देने से लेकर उनके लिए फंड जुटाने और उन्‍हें हथियारों की सप्‍लाई तक में पाकिस्‍तान सबसे आगे रहा है। हालांकि, अमेरिका की तरफ से कुछ दिन पहले ही कहा गया था कि पाकिस्‍तान और तालिबान के गठजोड़ का उनके पास में कोई सुबूत नहीं है। उन्‍होंने ये भी कहा था कि इस बात का भी कोई सुबूत सामने नहीं आया है कि तालिबान में पाकिस्‍तान के आतंकी शामिल रहे हैं। लेकिन, उनके इस दावे और पाकिस्‍तान की कलई वहां की मशहूर लाल मस्जिद के पूर्व मौलाना अब्‍दुल अजीज ने खोलकर रख दी है। यही वजह है कि दो दिनों से पूरी दुनिया की मीडिया में लाल मस्जिद सुर्खियों में छाई हुई है।

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पाकिस्‍तान की सबसे प्राचीन मस्जिद 

बता दें कि लाल मस्जिद पाकिस्‍तान के इस्‍लामाबाद में स्थित है। ये देश की सबसे पुरानी मस्जिदों में शामिल है, इसलिए ही ये काफी खास है। यही वजह है कि यहां के मौलाना के मुंह से निकली बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अब्‍दुल अजीज इसके मौलाना रहे हैं। दरअसल, उनके एक बयान की वजह से ही लाल मस्जिद सुर्खियों में आई है। उन्‍होंने कहा है कि अफगानिस्‍तान पर तालिबान को कब्‍जा दिलाने में पाकिस्‍तानी आतंकियों ने अहम भूमिका निभाई है। इस जंग में उन्‍होंने अपनी जान तक गंवाई है।

तालिबान की मदद को लाल मस्जिद से गए फिदायीन 

उसके मुताबिक पाकिस्‍तान ने करीब एक हजार आतंकियों को फिदायीन की ट्रेनिंग देकर अफगानिस्‍तान भेजा था। इन्‍होंने वहां का नक्‍शा ही बदल दिया। अब्दुल अजीज ने यहां तक दावा किया है कि अफगानिस्‍ताान में भेजे गए फिदायीन आतंकियों को लाल मस्जिद द्वारा ही तैयार किया गया था। तालिबान की तरफ से इसकी मांग भी की गई थी।

अपने पिता की हत्‍या के बाद लाल मस्जिद का मौलाना बना था अजीज 

आपको बता दें कि अजीज 1990 से 2004 तक इस मस्जिद के मौलाना था। उनको इस पद पर उनके पिता अब्‍दुल्‍ला अजीज की हत्‍या के बाद बिठाया गया था। 2004 में अजीज ने पाकिस्‍तान सरकार के फैसले की तीखी आलोचना की थी। इसक बाद उसने वजीरिस्‍तान में आतकियों के खिलाफ चलाए गए सेना के आपरेशन को भी गलत बताया गया था और सरकार पर अंगुली उठाई थी। इसको लेकर उसने फतवा तक जारी किया था, जिसके चलते वो पाकिस्‍तान सरकार के निशाने पर आ गया था।

2007 का सेना का आपरेशन 

वर्ष 2007 में लाल मस्जिद में सेना द्वारा की गई आतंक विरोधी कार्रवाई के दौरान करीब 100 लोगों की जान गई थी, जिसमें अजीज का भाई और उसकी मां भी शामिल थी। तत्‍कालीन परवेज मुशर्रफ की सरकार में उन्‍हें बुर्के में भागते हुए गिरफ्तार किया था। अजीज जेल से वर्ष 2009 में बाहर आया। 2013 में उसको पाकिस्‍तान की शीर्ष अदालत ने आरोपों से मुक्‍त करते हुए रिहा कर दिया था। इसके बाद उन्‍होंने वर्ष 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्‍कूल पर हुए आतंकी हमले का समर्थन ये कहते हुए किया था कि ये आतंकियों का उनके खिलाफ चलाए गए आपरेशन का रिएक्‍शन था।

मस्जिद का आतंकियों से सीधा संबंध 

1965 में बनी लाल रंग की दीवारों की वजह से ही इसको लाल मंस्जिद का नाम दिया गया था। आपको बता दें कि इस मस्जिद से पाकिस्‍तान के तहरीक-ए-तालिबान, अलकायदा और जैश-ए-मोहम्मद का भी सीधा संबंध रहा है। अजीज ने यहां तक दावा किया है कि पाकिस्‍तान से गए फिदायीन की वजह से ही अफगानिस्‍तान में मातम पसरने के साथ-साथ दहशत व्‍याप्‍त है। उनके मुताबिक, अब ये लोग दुनिया का नक्‍शा बदलने की फिराक में हैं। अजीज का तो यहां तक कहना है कि हाल ही में काबुल में हुए धमाकों के पीछे भी यही फिदायीन हैं।


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