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तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान में फिर छेड़ा कश्मीर राग, कहा- हमेशा उठाते रहेंगे यह मुद्दा

दो दिन के पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने फिर कश्मीर राग छेड़ा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 04:48 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 07:45 PM (IST)
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान में फिर छेड़ा कश्मीर राग, कहा- हमेशा उठाते रहेंगे यह मुद्दा
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान में फिर छेड़ा कश्मीर राग, कहा- हमेशा उठाते रहेंगे यह मुद्दा

इस्लामाबाद, एजेंसी। भारत की आपत्तियों के बावजूद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने फिर कश्मीर राग छेड़ा है। पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र को रिकॉर्ड चौथी बार संबोधित करते हुए एर्दोगन ने कहा, तुर्की कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता रहेगा क्योंकि यह दोनों के लिए अहम है। इस विवाद का हल संघर्ष या उत्पीड़न से नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता से निकाला जा सकता है।

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बिना नाम लिए अनुच्छेद-370 को खत्म करने का हवाला देते हुए एर्दोगन ने कहा, हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों को दशकों से असुविधाओं का सामना करना पड़ा है और हाल के दिनों में उठाए गए एकतरफा कदमों से इनमें ब़़ढोतरी हुई है। कश्मीर का मुद्दा हमारे लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पाकिस्तान के लिए।' तुर्की के राष्ट्रपति ने इस दौरान कश्मीरियों के संघषर्ष की तुलना तुर्की में लड़े गए गैलीपोली के युद्ध से की। उन्होंने कहा कि गैलीपोली और कश्मीर के बीच कोई अंतर नहीं है, इसलिए तुर्की कश्मीर के मुद्दे को हमेशा उठाता रहेगा।

क्या था गैलीपोली का युद्ध

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फरवरी, 1915 से जनवरी, 1916 के बीच गैलीपोली प्रायद्वीप पर यह जंग लड़ी गई थी। कई महीनों की लड़ाई के बाद ब्रिटेन, फ्रांस समेत सहयोगी देशों की सेनाएं पीछे हट गई थीं। गैलीपोली की लड़ाई तुर्की के ओटोमन साम्राज्य के लिए बड़ा जीत थी। इसे तुर्की के इतिहास में निर्णायक क्षण माना जाता है। इस लड़ाई में दोनों पक्षों के दो लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए थे।

पाकिस्तान को एफएटीएफ की काली सूची से बचाएगा तुर्की

एर्दोगन ने एलान किया कि तुर्की वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की बैठक के दौरान आतंकवाद की फंडिंग के मामले में पाकिस्तान को काली सूची में डालने का विरोध करेगा। एर्दोगन का मानना है कि इस कदम से पाकिस्तान अपने आलोचकों के राजनीतिक दबाव का मुकाबला कर सकेगा।

काली सूची से बाहर निकलने के लिए तीन वोट की जरूरत

मनी लांड्रिंग मामलों से निपटने वाले एफएटीएफ ने पिछले साल के अंत में इस्लामाबाद से कहा था कि अगर वह आतंकी फंडिंग पर लगाम नहीं लगाता है तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। एफएटीएफ की अगले सप्ताह फ्रांस में बैठक होनी है। तुर्की, चीन, मलेशिया और सऊदी अरब जैसे लंबे समय से उसके सहयोगी देशों के रख को देखकर लगता है कि पाकिस्तान को काली सूची से दूर रहने में मदद मिल सकती है। किसी भी देश को काली सूची में जाने से बचने के लिए न्यूनतम तीन वोटों की आवश्यकता होती है।

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